राहुल का चुराए वोटों से बिहार की सत्ता में वापसी का दावा, Voter Adhikar Yatra से समझिए सियासी समीकरण
राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा गयाजी से नवादा तक हुई। 60 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3 घंटे लगे क्योंकि हर जगह भारी भीड़ थी। राहुल ने बिहार में वोट की चोरी रोकने की चेतावनी दी। कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी दिखी और कई लोग टिकट के दावेदार थे। राहुल ने लूटे-पीटे वोटों से बिहार में सत्ता में वापसी का दावा किया।

विकास चंद्र पांडेय, पटना। राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ बिहार में 'मतदाता अधिकार यात्रा' पर निकले राहुल गांधी को गयाजी के रसूलपुर से नवादा तक की 60 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग तीन घंटे लग गए। यह तब हुआ जब उन्होंने इस दौरान न तो कहीं विश्राम किया और न ही किसी सभा को संबोधित किया।
दरअसल, उन्हें देखने और उनकी बातों को समझने के लिए हर जगह इतनी भीड़ थी कि सिर्फ़ अभिवादन करने में ही इतना समय लग गया।
नवादा के भगत सिंह चौक से तीन रास्ते निकलते हैं, बिल्कुल महागठबंधन में साफ़ दिखाई दे रहे तीन धड़ों की तरह। हाल ही में राजद में शामिल हुए पूर्व विधायक कौशल यादव आजू पक्ष पर हावी हैं, जो राहुल की जीप की पिछली सीट पर बैठ गए हैं।
बगल वाला इलाका पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव का है, जो आरोपों से बरी होकर जेल से बाहर आए हैं और 'मतदाता अधिकार यात्रा' से बेपरवाह अपने दिवंगत पिता की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे हैं। तीसरी सड़क पर आगे बढ़ेंगे तो बरबीघा की ओर जाएंगे और पीछे हटेंगे तो हिसुआ की ओर।
बहरहाल, राहुल उसी राह पर हैं। हिसुआ में कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी की गुर्राहट को पीछे छोड़ते हुए, वे पूर्व भाजपा विधायक अनिल सिंह के साथ बरबीघा की ओर दौड़ पड़े हैं। वे पश्चिम की ओर उगते सूरज की तरह थोड़े थके हुए लग रहे हैं।
मंगलवार को यात्रा का तीसरा दिन है और आगे बढ़ने से पहले राहुल अब एक दिन का आराम करेंगे। सोमवार की रात गयाजी के आसपास बीती। इस शहर के निवासियों ने अभी रात का आखिरी करवट ही बदला था कि राहुल रसलपुर के शिविर में जाग उठे। तब से वे मतदाताओं को जगा रहे हैं। सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि वे बिहार में वोट की चोरी कतई नहीं होने देंगे।
एकजुट होने की अपील कर रहे हैं, लेकिन गयाजी से लेकर वजीरगंज और उससे आगे बरबीघा तक गुटों में बँटे कांग्रेस नेताओं पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। तामझाम और माला-गुलदस्ते के साथ भीड़ जुटाने वाले सभी लोग टिकट के दावेदार हैं। घेर में उत्साही युवा बुलडोजर पर चढ़ गए हैं।
वजीरगंज में कांग्रेस का झंडा लिए खड़े खूबसूरत लखन लाल का दावा है कि उन्होंने 14 ईंटें सिर पर उठाईं और लगातार सात-आठ घंटे चौथी मंजिल पर चढ़े-उतरे। उनका कहना है कि उनके पास पेट भर पूड़ी-जबेली और जेब में पांच सौ रुपये हैं। ऐसे में सुबह ढाई-तीन घंटे का ठेका बुरा नहीं है। बाकी घंटों में वे मजदूरी भी कर लेंगे। मंजवे में मोहम्मद सुल्तान इस दिहाड़ी से बेफिक्र हैं। उनके सात बच्चे हैं, जो कमाकर खिला रहे हैं। वोट सबके हैं, लेकिन मुद्दा बिरादरी का है, इसलिए कलफ लगा कुर्ता-पायजामा पहनकर आए हैं।
बहरहाल, हिसुआ के मोहम्मद सैयद आलम और शकीरा खातून बुढ़ापे में भी मेहनत-मजदूरी पर निर्भर हैं। त्रासदी यह है कि पांच बेटियों के वोट रद्द कर दिए गए। कागजों में सिर्फ एक ही दिखाया गया है। शकीरा की मानें तो बाकी में कुछ विधवाएं हैं। उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि उसका वोट उसके ससुराल वालों के पास नहीं है।
ढाई-तीन दर्जन नौजवानों का एक समूह, जो सिर्फ़ तमाशा देखने आया था, भगत सिंह चौक पर लगे बाँस के बैरिकेड पर 'लिहो-लिहो' का नारा लगाता हुआ डट गया है।
बांस बोझ से चरमरा रहा है और राहुल की आवाज़ बोलते हुए भारी हो रही है। मसखरे अंदाज़ में यह समूह पूछ रहा है कि वोट किसका और चोर कौन! राजद का झंडा लिए तीन-चार हट्टे-कट्टे लोग उनकी पीठ थपथपा रहे हैं।
नंदलाल सिंह समझदारी से कह रहे हैं कि वही वोट जो श्री बाबू की तरह कब के सो गए हैं। यह बात दिल पर लगी है। बदले में आवाज़ जानबूझकर तेज़ हो गई है। हाँ-हाँ..., वे वोट भी जागेंगे और जब जागेंगे तो सैकड़ों-हज़ारों की जीत-हार का 'खेल' खत्म हो जाएगा।
राहुल इस 'खेल' को खत्म करने के लिए हर चीज़ छान रहे हैं। युवा मज़ाक कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ज़रा बारीक छानेंगे, छलनी थमा देंगे। बांस टूटते ही यह टोली तितर-बितर हो गई है। दूसरी तरफ़ सड़क को बाँटने वाली लोहे की दीवार टूट गई है।
बुर्काधारी महिलाओं का दबाव वह झेल नहीं पाई। नवादा पार से आई इन महिलाओं की नेता रसूल खान ने दुआ में दोनों हाथ आसमान की तरफ उठाए हैं। राहुल को पहली बार सामने से बोलते देखा है। कमाल की बात यह है कि वह तेजस्वी के साथ हैं। उनकी नजरें मिलीं।
नवादा में जयकारे लगाती भीड़ का आनंद लेते हुए राहुल लूटे-पीटे वोटों को अपनी विरासत बताते हैं और इसी के दम पर बिहार की सत्ता में वापसी का दावा करते हैं। इस दावे के साथ उन्होंने माइक अपने मुंह के इतने पास ला दिया है कि लाउडस्पीकर की आवाज़ लड़खड़ा रही है। तेजस्वी बोलते-बोलते उत्तेजित हो रहे हैं। जब भी उनकी ज़बान से 'तुम-तड़का' निकलता है, राजद के झंडे और भी ऊँचे उठने लगते हैं।
तभी चुपचाप खड़े लोग आंखों के कोने से इशारा करते हैं। बोरे में आलू-प्याज भरकर बेचने के लिए रखे इंद्रदेव मुसहर समुदाय से हैं। पर्वतारोही दशरथ मांझी भी इसी समुदाय से थे। कांग्रेस ने उनके बेटे के लिए घर बनवाया है। यह बात कहने पर इंद्रदेव कंधे उचकाते हैं। हमें क्या फ़र्क़ पड़ता है! करणी देवी,
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