Raghuvansh Prasad Singh Death: जिंदगी के अंत में CM नीतीश के करीब थी सोच, चुनाव में पत्रों की चर्चा तय
Raghuvansh Prasad Singh Death रघुवंश प्रसाद सिंह नहीं रहे। अपनी जिंदगी के अंत में उनकी सोच नीतीश कुमार के करीब हो गई थी। विधानसभा चुनाव में उनके पत्रों की खूब चर्चा होगी।
पटना, भुवनेश्वर वात्स्यायन। Raghuvansh Prasad Singh Death: अपने बेफिक्र अंदाज के लिए हमेशा चर्चा में रहे रघुवंश प्रसाद सिंह की यह अदा थी कि चाहे कोई कितने भी बड़े पद पर क्यों न हो, अगर उससे वह सहमत नहीं है तो अपनी असहमति को सार्वजनिक करके ही दम लेंगे। महागठबंधन की सरकार के समय इसके कई उदाहरण सामने आए। वे लालू प्रसाद के भले ही जिगरी रहे हों पर जिंदगी के आखिरी हफ्ते में रघुवंश मंथन नीतीश कुमार की सोच के करीब था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने संबोधन में जब रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि दी तो इस क्रम में भी यह बात साफ-साफ सामने आयी। नरेंद्र मोदी ने रघुवंश प्रसाद सिंह से अपने बेहतर रिश्ते पर बात की। यह भी बताया कि जब वे गुजरात में मुख्यमंत्री थे तो किस तरह से विकास से जुड़ी योजनाओं पर उनका स्नेह मिलता था। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह परामर्श दिया कि वह रघुवंश प्रसाद सिंह के विकास से जुड़े सपनों को पूरा करें। उनका आशय रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा पिछले हफ्ते नीतीश कुमार को लिखी गयी उन चिट्ठियों से था, जिसमें विकास से जुड़ी बातें कहीं गयीं थी। यह तय है कि इन चिट्ठियों पर बिहार के चुनावी समर में खास अंदाज में चर्चा होगी।
विदित हो कि रघुवंश प्रसाद ने बीते 10 सितंबर को लालू प्रसाद यादव को लिखे एक पत्र में आरजेडी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखे। उन्होंने लालू प्रसाद यादव को फिर एक पत्र लिखा। अपने पत्रों में रघंवंश ने लालू यादव का साथ छोड़ने की बात कही। उन्होंन मुख्यमंत्री से वैशाली के लिए कई मांगें कीं। रघुवंश के पत्रों की चर्चा अब आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तय है।
भा गया था जल-जीवन-हरियाली अभियान
रघुवंश प्रसाद सिंह को नीतीश कुमार का जल-जीवन-हरियाली अभियान भा गया था। मुख्यमंत्री को लिखी गयी चिट्ठी में उन्होंने इसका जिक्र विशेष रूप से किया था। उनका यह आग्रह था कि वैशाली के सभी तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ दिया जाए। सभी तालाबों को खुदवाकर ऐसी व्यवस्था की जाए कि वहां सालोभर पानी रहे।
बिहार के गौरव की पुनस्र्थापना की बातें कर रहे थे
नीतीश कुमार अपने संबोधनों में अक्सर बिहार के गौरव की बात करते रहे हैैं। गौरवशाली इतिहास के पन्नों की जानकारी नयी पीढ़ी को दिए जाने की बात होती रही है। रघुवंश बाबू भी इन दिनों बिहार के गौरव की पुनस्र्थापना की बात कर रहे थे। नीतीश कुमार को लिखी एक चिट्ठी में उन्होंने कहा था कि गांधी सेतु पर एक गेट बनाया जाए जिसमें विश्व के पहले गणतंत्र वैशाली की बात हो। वैशाली पर राष्ट्र कवि दिनकर की लिखी कविताएं सार्वजनिक रूप से वैशाली में लिखे जाने की बात कर रहे थे। भगवान बुद्ध के भिक्षा पात्र को काबुल से मंगवाने का परामर्श दिया। गणतंत्र दिवस पर वैशाली में मुख्यमंत्री झंडा फहराएं इस पर भी लिखा।
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