घिर आई है कारी बदरिया..
पटना । बरसात का मौसम, हवा में नमी और बिखरते स्वर राग मल्हार के। मानो बादल जमीन पर उतर आएगा ...और पढ़ें

पटना । बरसात का मौसम, हवा में नमी और बिखरते स्वर राग मल्हार के। मानो बादल जमीन पर उतर आएगा। बाहर बारिश तो नहीं हुई लेकिन तारामंडल हॉल के भीतर ¨हदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के रस खूब बरसे। रविवार की शाम मौका था नवरस स्कूल ऑफ परफार्मिग आर्ट्स द्वारा आयोजित 'मल्हार' कार्यक्रम का। इस अवसर पर कोलकाता से ¨हदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के गायक ओमकार दादरकर को आमंत्रित किया गया था। जैसे ही गायन आरंभ हुआ सभी शास्त्रीय संगीत की मधुरता में खो गए। इस अवसर पर नवरस के सचिव डॉ. अजीत प्रधान ने मल्हार राग के विषय में बताते हुए कहा कि इस राग के विषय में मान्यता है कि इस राग के गायन से बारिश शुरू हो जाती है। उन्होंने ऐसी एक घटना का भी जिक्र किया। मौके पर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, मंत्री पीके शाही, जस्टिस रविरंजन, रमेश दत्ता, नीलू अग्रवाल आदि जैसे लोग मौजूद थे।
बिखरी मल्हार व कजरी की खुशबू :
कार्यक्रम का आरंभ मिया मल्हार राग में विलंबित खयाल से हुआ। अलाप के साथ 'करीम नाम तेरो' के स्वर जैसे ही बिखरने शुरू हुए सभी बस खोते चले गए। इसके बाद इसी राग में छोटा खयाल 'बोले रे पपीहरा' की प्रस्तुति हुई। राग गौड़ मल्हार में उन्होंने 'नजरा नहीं आनदा' विलंबित खयाल प्रस्तुत किया। इसके बाद इसी राग में 'बूंद-बूंद लागी' की प्रस्तुति हुई। राग देश में प्रस्तुत 'सखी घन गड़जत अति घोर' व 'घन गगन घन' पर दर्शकों की खूब तालियां गूंजी। राग मिश्र पीलू में प्रस्तुत कजरी 'घिर आई है कारी बदरिया' की सबने तारीफ की। कार्यक्रम का समापन राधा-कृष्ण पर आधारित भजन से हुआ।
बहुत शालीन हैं यहां के श्रोता :
प्रस्तुति देने के बाद ओमकार दादरकर ने बताया कि मैं इससे पहले भी यहां प्रस्तुति देने के लिए आ चुका हूं। यहां के श्रोता बेहद शालीन हैं। यहां के लोगों में शास्त्रीय संगीत की काफी बेहतर समझ है। शास्त्रीय संगीत को आगे ले जाने के लिए ऐसे ही आयोजन व ऐसे ही श्रोताओं की जरूरत है। इन दिनों काफी लोग अपने बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिला रहे हैं। ये बेहतर भविष्य की ओर इशारा करता है। इतने अच्छे दर्शकों के बीच प्रस्तुति देकर बहुत अच्छा लगा। मौका मिला तो दोबारा जरूर आना चाहूंगा।

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