Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Bhumi Survey: क्या भूमि सर्वे पर लगेगी रोक? पटना हाई कोर्ट पर टिकी निगाहें; मुश्किल में सरकार

    Updated: Wed, 18 Sep 2024 07:59 PM (IST)

    बिहार भूमि सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्तमान सर्वे त्रुटिपूर्ण है और इससे भविष्य में मुकदमेबाजी बढ़ेगी। वहीं कॉलेज की भूमि पर शराब नष्ट करने के मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार पर एक लाख का अर्थदंड लगाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन मनमाने तरीके से काॉलेज की भूमि का उपयोग नहीं कर सकता।

    Hero Image
    भूमि सर्वे पर रोक लगाने के लिए लोकहित याचिका दायर।

    विधि संवाददाता, पटना। बिहार में चल रहे भूमि सर्वे (Bihar Land Survey) पर रोक लगाने के लिए अधिवक्ता राजीव रंजन सिंह ने पटना हाई कोर्ट में एक लोकहित याचिका दायर की है।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्तमान सर्वे त्रुटिपूर्ण है। सर्वे में कोई कानूनी तंत्र नहीं अपनाया गया है। इस सर्वे से स्थिति और बदतर होगी, जिसके कारण उक्त मामले में भविष्य में मुकदमेबाजी बढ़ेगी। वर्तमान सर्वे में आने वाली कठिनाइयों की भी अनदेखी की गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    याचिकाकर्ता ने सात सितंबर, 2024 को उक्त मामले में राज्य के मुख्य सचिव तथा राज्य के राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव को अभयावेदन भी दिया है।

    उधर से कोई उत्तर नहीं मिलने पर उन्होंने लोकहित याचिका दायर की है।

    कॉलेज की भूमि पर शराब नष्ट करने के मामले में राज्य सरकार पर एक लाख का अर्थदंड

    कॉलेज की भूमि पर प्रशासन द्वारा शराब नष्ट किए जाने के मामले पर पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर एक लाख का अर्थदंड लगाया है। इससे पहले कोर्ट ने सिवान के डीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित होकर दोषी अधिकारियों के संबंध में जानकारी देने का निर्देश दिया था।

    न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। यह कालेज सिवान जिला के मैरवा में अवस्थित है। सरकार का कहना था कि भूमि भूदान की है।

    हालांकि, याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उक्त भूमि पर कालेज का कब्जा है और राजस्व रिकॉर्ड में भी यह स्पष्ट है। इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने माना कि सरकार की कार्रवाई अवैध है। कोर्ट ने मामले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन मनमाने तरीके से कालेज की भूमि को शराब नष्ट करने के लिए कैसे उपयोग में ला सकती है।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमित कुमार झा एवं विजय शंकर तिवारी ने कोर्ट को बताया कि सन् 1986 में उक्त कालेज का निर्माण अधिवक्ता शशि भूषण तिवारी ने करवाया था। शर्त पूरी नहीं करने के बिहार इंटरमीडिएट कांउसिल ने 2004 में उसकी संबद्धता वापस ले ली।

    शशि भूषण तिवारी के पुत्र विजय शंकर तिवारी ने जब 13 नवंबर 2021 को निरीक्षण किया तो पाया कि कालेज की भूमि को खोद कर शराब नष्ट की गई है। मैरवा थाना द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने से इन्कार करने के बाद वे सिवान के उत्पाद अधीक्षक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। कोई सार्थक हल नहीं निकलने पर उन्हें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

    ये भी पढ़ें- Bihar Bhumi Survey: जमीन सर्वे से राहत कम आफत ज्यादा! डॉक्युमेंट रीडिंग के लिए लग रहे 15 से 20 हजार रुपये

    ये भी पढ़ें- Bihar Bhumi Survey 2024: भूमि सर्वे के बीच जमाबंदी को लेकर आई नई जानकारी, अधिकारियों में मचा हड़कंप