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    गणित की गुत्थी सुलझाने वाले प्रो. केसी सिन्हा, चुनावी समीकरण में फिसले

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 01:21 PM (IST)

    गणितज्ञ प्रो. केसी सिन्हा इस बार चुनावी मैदान में असफल रहे। गणित के विशेषज्ञ होने के बावजूद, वे मतदाताओं का समर्थन प्राप्त करने में विफल रहे। राजनीतिक अनुभव की कमी और मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने में असमर्थता उनकी हार के मुख्य कारण हो सकते हैं। अब देखना यह है कि वे राजनीति में बने रहते हैं या गणित में वापस लौटते हैं।

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     प्रो. केसी सिन्हा

    जागरण संवाददाता, पटना। बिहार के प्रख्यात गणितज्ञ प्रो. केसी सिन्हा गणित की गुत्थियों को भले आसानी से सुलझा लेते हो पर चुनावी समीकरण नहीं साध सके। प्रो. केसी सिन्हा की पहचान गणित विशेषज्ञ के रूप में की जाती है। वे नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ-साथ पटना विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति भी रहे। 

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    उनके पढ़ाए विद्यार्थी आज बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं। उनसे पढ़ने के लिए विद्यार्थियों की भीड़ लगी रहती थी। प्रो. केसी सिन्हा खुद एमएससी में गोल्ड मेडलिस्ट रहे और इन्होंने 1990 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

    जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव

    अचानक 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में पटना जिले के कुम्हरार विधानसभा सीट से जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना सबको हैरत में डाल गया। क्योंकि इससे पहले उन्होंने कभी राजनीति में कदम नहीं रखा था। 

    उनका प्रमुख क्षेत्र शिक्षा ही रहा है। सबसे हैरत की बात रही कि कुम्हरार विधानसभा में पहली बार चुनाव लड़े और तीसरे नंबर रहे। उन्होंने मात्र 15017 वोट प्राप्त किए। इनका चुनाव लड़ना पटना में चर्चा का विषय बना रहा।

    कुम्हरार विधानसभा में त्रिकोणीय संघर्ष 

    इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार संजय कुमार गुप्ता ने 100485 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की। जबकि दूसरे नंबर कांग्रेस के उम्मीदवार इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी रहे। इन्होंने दूसरे नंबर रहकर 52961 वोट प्राप्त किए। 

    कुम्हरार विधानसभा में त्रिकोणीय संघर्ष रहा। हालांकि प्रो. केसी सिन्हा ने जीत हासिल करने के लिए जी तोड़ कोशिश की, लेकिन वे कुम्हरार विधानसभा के क्षेत्र के लोगों का दिल जीत नहीं पाए।