Helth news : घर के खाने से दूर होंगी बच्चों में पेट दर्द, कम भूख, उल्टी, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं
बच्चों के खाने में आवश्यक रूप से हल्का सुपाच्य व पौष्टिक खाना जैसे खिचड़ी दलिया दाल-भात हरी मौसमी सब्जियां व फलों को शामिल किया जाए। छह माह से अधिक के बच्चों को भी सेमी सालिड रूप में ये खाद्य सामग्रियां दी जानी चाहिए। अभिभावक खुद बच्चों के साथ इन खानों को बैठकर खाएं।

संवाददाता, पटना। आजकल ओपीडी में आने वाले 10 में से पांच बच्चों को पेट दर्द, गैस, कम भूख, उल्टी महसूस होना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन या जिद्दी होना जैसे समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। 70 प्रतिशत मामलों में इसका कारण चिप्स, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक, मैगी जैसे पैकेटबंद खाद्यसामग्री व होटल-रेस्त्रां का तेज मिर्च-मसाले व तेल वाला भोजन होता है।
ऐसे भोजन से उनका पाचन तंत्र बिगड़ता है और उपरोक्त समस्याएं होती हैं। इसी प्रकार छह माह से अधिक उम्र के बच्चों को सिर्फ दूध पर रखने से भी ऐसी समस्याएं होती हैं। दवाओं से इसका स्थायी निदान नहीं होता है। इसका बचाव व उपचार यही है कि बच्चों को घर का बना सादा, संतुलित व पौष्टिक नाश्ता, आहार कम से कम तीन बार खिलाया जाए।
बच्चों के खाने में आवश्यक रूप से हल्का, सुपाच्य व पौष्टिक खाना जैसे खिचड़ी, दलिया, दाल-भात, हरी मौसमी सब्जियां व फलों को शामिल किया जाए। छह माह से अधिक के बच्चों को भी सेमी सालिड रूप में ये खाद्य सामग्रियां दी जानी चाहिए। इसके लिए अभिभावक खुद बच्चों के साथ इन खानों को बैठकर खाएं।
इनमें फाइबर, विटामिन व मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है जो पाचन क्रिया को सुधार कर भूख बढ़ाते हैं और बच्चे का विकास भी बेहतर होता है। खानपान में सुधार के 10 दिन बाद भी पेट की तकलीफ दूर नहीं हो तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स, मौसमी फल के साथ दिन में बाहर का खाना नहीं खिलाने की आदत डलवाएं। घर का सुपाच्य खाना खाने पर रात में भूख लगेगी। इस बीच सुबह शाम गैस की दवा दें, इससे पेट फूलने की समस्या में आराम होगा। इसके साथ बच्चे को प्रतिदिन एक से दो घंटे मैदान में खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। आराम नहीं हो तो एक बार डाक्टर से परामर्श लें।
अभी मौसमी बुखार ज्यादा हो रहा है। बच्चे को पैरासिटामोल व सर्दी के लिए सेट्रेजिन दवा की आधी गोली देने से आराम होगा। खांसी होने पर तीन बार पांच एमएल एस्कोरिल एलएस सिरप दें। पांच दिन में ठीक हो जाएगा नहीं तो किसी डाक्टर से मिलें।
हजार में 10 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित
पटना में जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रति हजार जन्म पर करीब 10 बच्चे इससे पीड़ित हैं। यदि पहला बच्चा इससे पीड़ित है तो दूसरे को यह रोग होने का खतरा अधिक होता है। आनुवंशिक के साथ इसका कोई सटीक वैज्ञानिक कारण अभी तक पता नहीं चला है। अध्ययन में पाया गया है कि इसका कारण गर्भावस्था में धूम्रपान, शराब या अन्य नशे का सेवन भी हृदय में छेद हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था में एक्स-रे, सीटी स्कैन, रूबेला जैसा वायरल रोग होने, मां को मधुमेह होने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है। आइजीआइसी में इसकी जांच व उपचार की पूरी सुविधा है। जटिल सर्जरी की जरूरत होने पर उन्हें सरकारी खर्च पर अहमदाबाद भेजा जाता है।
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