बिहार के जेल में बंद कैदी के पेट में हो रहा था तेज दर्द, एक्सरे रिपोर्ट देखकर डॉक्टरों के भी उड़े होश
पटना के आईजीआईएमएस में एक अजीब मामला सामने आया, जहां एक कैदी के पेट से चार नुकीले तार और दो पेंसिलें निकाली गईं। नशे की हालत में कैदी ने ये वस्तुएं निगल ली थीं, जिससे उसकी जान को खतरा था। डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी करके तारों और पेंसिल को निकाला।

आईजीआईएमएस के डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन। (जागरण)
जागरण संवाददाता, पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईजीआईएमएस) में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है।
संस्थान में पुलिस एक ऐसे मरीज को लाई, जो नशे की हालत में चार नुकीले तार व दो पेंसिल निगल लिया था। आईजीआईएमएस प्रशासन के अनुसार, एक सजायाफ्ता कैदी के पेट से चार तार और दो पेंसिलें निकाली गईं।
यह मामला बेहद चौंकाने वाला था, क्योंकि कैदी ने नशे की हालत में इन वस्तुओं को निगल लिया था, इससे उसकी जान को गंभीर खतरा हो गया था।
नालंदा जिले का 23 वर्षीय कैदी, जो फिलहाल नालंदा जेल में सजा काट रहा था, पेट में दर्द की शिकायत के बाद चिकित्सीय जांच के लिए बेउर जेल से पीएमसीएच लाया गया था। एक्सरे और अन्य परीक्षणों में उसके पेट में धातु के तार और पेंसिल जैसी वस्तुएं फंसी हुई पाई गईं।
इसके बाद उसे आगे की जांच और इलाज के लिए आईजीआईएमएस रेफर किया गया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा पेट में छिपी इन वस्तुओं को निकालने के लिए एंडोस्कोपी का निर्णय लिया गया। एंडोस्कोपी के दौरान पता चला कि कैदी के पेट में चार धातु के तार और दो पेंसिल, छोटी आंत में फंसी हुई थीं।
पांच महीने पहले निगल लिया था तार व पेंसिल
आईजीआईएमएस प्रशासन के अनुसार कैदी ने महज पांच महीने पहले नशे की हालत में इन वस्तुओं को निगल लिया था, जो उसके पाचन तंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकती थीं। गैस्ट्रो मेडिसिन के सहायक प्राध्यापक डॉ. राहुल कुमार ने कहा कि इन नुकीले तारों और पेंसिलों से आंतों में गंभीर संक्रमण और रक्तस्त्राव का खतरा था। यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो यह स्थिति कैदी के जीवन के लिए खतरनाक हो सकती थी।
सभी अवांछित वस्तुएं अब चिकित्सकों की देखरेख में एंडोस्कोपी द्वारा निकाल दी गईं हैं। डॉ. राहुल कुमार और उनकी टीम ने आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अपनी समुचित तैयारियों के साथ इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया ग।
संस्थान के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने कहा कि यह मामला अत्यंत दुर्लभ है, लेकिन हमारे अस्पताल की कुशल चिकित्सकीय टीम ने अपनी विशेषज्ञता और सूझबूझ से इसे सफलतापूर्वक हल किया है। उन्होंने गैस्ट्रोविभागाध्यक्ष डॉ. संजीव झा, डॉ. रविकांत, डॉ. राहुल कुमार और समस्त टीम को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सराहा।

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