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    Prashant Kishor: 'मेरे साथ दूसरी बार धोखा हुआ; 10 दिनों के अंदर...', भरी सभा में ये क्या बोल गए पीके

    Updated: Fri, 11 Apr 2025 09:24 PM (IST)

    प्रशांत किशोर की बिहार बदलाव रैली में देरी से पहुंचने पर उन्होंने सरकार पर बाधा डालने का आरोप लगाया। किशोर ने कहा कि जन सुराज पार्टी के समर्थकों को रैली में आने से रोका गया। उन्होंने बिहार में बदलाव यात्रा शुरू करने और नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया। किशोर ने नीतीश कुमार पर धोखा देने का आरोप लगाया और जनता राज लाने की बात कही।

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    दूसरी बार हुआ धोखा, अब दस दिन के भीतर निकलूंगा बिहार बदलाव यात्रा पर: प्रशांत किशोर

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार बदलाव रैली में शुक्रवार को प्रतीक्षारत जन-समूह के बीच तीन-चार घंटे देरी से पहुंचे प्रशांत किशोर (पीके) ने पहले क्षमायाचना की और उसके बाद सरकार पर बिफर पड़े। उस समय शाम के छह बज रहे थे और पटना के गांधी मैदान में अच्छी-खासी भीड़ जुट चुकी थी, लेकिन पीके संतुष्ट नहीं थे।

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    उन्होंने दावा किया कि रैली में जन सुराज पार्टी (जसुपा) के पांच लाख समर्थक आ रहे थे। दो लाख से अधिक लोगों को सरकार ने जहां-तहां रोक दिया। इस गर्मी में वे लोग भूखे-प्यासे परेशान रहे। मैं चार घंटे तक प्रशासन से याचना करता रहा, लेकिन लोगों को नहीं आने दिया गया।

    पीके ने आगे कहा, सरकार समर्थकों को मेरे पास आने से रोक सकती है, लेकिन उनके घर-द्वार तक जाने से मुझे नहीं। अब दस दिनों के भीतर मैं बिहार बदलाव यात्रा पर निकलूंगा। एक-एक व्यक्ति से मिलूंगा। इस सरकार को उखाड़ फेंकना है। इस संकल्प के साथ उन्होंने जय बिहार का उद्धोष किया तो प्रत्युत्तर में मैदान गूंज उठा।

    गांधी मैदान में सायं-काल में रैली का संभवत: यह पहला अवसर रहा। मंच के साथ 800 फीट लंबा रैंप भी बना था। पीके को उस पर चलते हुए भाषण देना था। बिहार में होने वाली किसी रैली में यह भी पहला प्रयोग रहा, लेकिन पीके जो बोले, वह मंच से ही। पीड़ा और क्षोभ का मिश्रित भाव उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।

    उन्होंने कहा कि रैली में पुलिस-प्रशासन ने पूरा अड़ंगा लगाया, जबकि मुख्य सचिव-डीजीपी और डीएम-एसपी सबको समय से पहले सूचित कर दिया गया था। सरकार ने मेरे साथ दूसरी बार धोखा किया है। युवाओं और छात्रों के मुद्दे पर मैं इसी गांधी मैदान में अनशन पर था। तब देर रात नीतीश कुमार के अफसर मुझे उठा ले गए और जेल में डाल दिया।

    'मैं नहीं होता तो 2015 में ही...'

    उन्होंने कहा कि न्यायालय के हस्तक्षेप से मैं बाहर आया। मैं नहीं होता तो 2015 में ही नीतीश राजनीतिक संन्यास ले चुके होते। अब बहुत हुआ। एक कहावत है कि जो शादी कराता है, वही श्राद्ध भी कराता है। नीतीश का राजनीतिक श्राद्ध जसुपा ही कराएगी।

    अपने छह मिनट के उद्बोधन में पीके ने कहा कि वे लंबा नहीं बोलेंगे। अगले पांच घंटे तक जन-समूह के बीच रहेंगे और बातचीत करेंगे। खाने-पीने और घर तक लौटने की सारी व्यवस्था है। नीतीश के अफसरों के इस जंगल-राज को उखाड़ फेंकने का संकल्प कीजिए। अफसरशाही का खात्मा होकर रहेगा।

    समर्थकों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश को उखाड़ फेंकना है। मोदी के बहकावे में नहीं आना और लालू का जंगल-राज तो चाहिए नहीं! अब जनता का राज चाहिए, इसके लिए बदलाव जरूरी है। कतरल-ध्वनि से जन-समूह ने उन्हें आश्वस्त किया।

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