Prashant Kishor: राजनीति से संन्यास लेंगे प्रशांत किशोर? नई शर्तें रखकर बोले- बयान पर कायम
जन सुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव में हार के बाद मीडिया से बात की। उन्होंने हार की जिम्मेदारी ली और राजनीति से संन्यास लेने के अपने पुराने दावे पर स्पष्टीकरण दिया। प्रशांत किशोर ने कहा कि वह बिहार में ही रहेंगे और लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने चुनाव आयोग पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि जरूरत पड़ने पर वे कोर्ट भी जाएंगे।
डिजिटल डेस्क, पटना। जन सुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली और अपने उस पुराने दावे पर भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश को 25 सीटों से ज्यादा आईं तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे।
Prashant Kishor ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मेरे पास कोई पद नहीं है, तो मुझे किस पद से इस्तीफा देना चाहिए? मैंने कभी नहीं कहा कि मैं बिहार छोड़ दूंगा, बिहार में रहेंगे। मैंने कहा था कि मैं पॉलिटिक्स नहीं करूंगा और उस बात पर कायम हूं।"
उन्होंने कहा कि वह जो करते हैं, वह पॉलिटिक्स नहीं है, लोगों की आवाज उठाना पॉलिटिक्स नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कभी नहीं कहा कि बिहार के लोगों की बात उठाना छोड़ देंगे। ये नहीं कहा कि 30 हजार रुपये में वोटर खरीदेंगे। प्रशांत ने यह भी कहा कि अगर सरकार महिलाओं को 2-2 लाख रुपये दे देती है, तो वे राजनीति छोड़ देंगे।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोच रहे हैं कि मैं बिहार छोड़ दूंगा, तो वो भ्रम में न रहें। कोई तब तक नहीं हारता, जब तक छोड़ता नहीं। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार को सुधारने की जिद पूरी न कर लें, तब तक बिहार छोड़ेंगे नहीं।
प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में 'वोट चोरी' कोई मुद्दा नहीं है। असली चिंता सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल है, जिसमें जीविका दीदियों को मोबिलाइज़र के तौर पर इस्तेमाल करना शामिल है और पिछले दो घंटों में 15-20% वोट बढ़ने का पैटर्न है, जबकि इलेक्शन कमीशन ने इसकी डिटेल्स शेयर नहीं की हैं।
उन्होंने कहा कि जनसुराज भले ही एक छोटी पार्टी है, लेकिन विपक्ष से रिक्वेस्ट करते हैं कि वे इसे सीरियसली लें और अगर जरूरत हो, तो सुप्रीम कोर्ट जाएं। यह देखने का भी समय है कि क्या मौजूदा मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट काफी है।
...तो कोर्ट में जाएंगे
प्रशांत किशोर ने कहा कि हमने कुछ नेताओं के बारे में जो बातें पहले कही थीं, वे वैसी ही हैं। हमें उम्मीद थी कि सरकार एक्शन लेगी, लेकिन लोगों ने उन्हें फिर से चुना है और उन्हें बहुत बड़ा मैंडेट दिया है। अब यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह उन्हें मिनिस्ट्री में शामिल न करे। अगर उन्हें शामिल किया जाता है, तो हम लोगों के पास जाएंगे और ज़रूरत पड़ने पर कोर्ट भी जाएंगे। जिन चार लोगों के बारे में हमने पहले बताया था, अगर वे फिर से मिनिस्टर बनते हैं, तो हम कोर्ट जाएंगे।
सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
उन्होंने कहा कि आजाद भारत में पहली बार - खासकर बिहार में - किसी सरकार ने लोगों के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया और इसीलिए NDA को इतनी बड़ी बहुमत मिली।
प्रशांत ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि वोटरों ने 10,000 रुपये के लिए अपने वोट बेच दिए। यह सच नहीं है; यहां के लोग अपना या अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेचेंगे। इस बहस का कोई अंत नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग चुनाव आयोग पर गलत काम करने का आरोप लगा रहे हैं, यह उनका मामला है, लेकिन हर विधानसभा सीट पर कम से कम 60,000-62,000 लोगों को 10,000 रुपये दिए गए और 2 लाख रुपये का लोन देने का वादा किया गया।
सरकारी अधिकारी ड्यूटी पर थे, जो लोगों को बता रहे थे कि अगर NDA सत्ता में वापस आई तो उन्हें लोन मिलेगा और इसके लिए जीविका दीदियों को ड्यूटी पर लगाया गया था।
जारी किया हेल्पलाइन नंबर
उन्होंने अपना संपर्क नंबर 91 216 91216 जारी करते हुए कहा कि जिन लाभार्थियों को वादे के अनुसार राशि नहीं मिली, वे जन सुराज पार्टीसे जुड़ें, उनकी लड़ाई जन सुराज लड़ेगी। अब सलाह का समय समाप्त हुआ और संघर्ष का समय शुरू हो गया है।

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