Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    16 घंटे की शह-मात के बाद छूटे प्रशांत किशोर, मना करने के बाद बेल बॉन्ड पर क्यों किया साइन?

    Updated: Mon, 06 Jan 2025 07:35 PM (IST)

    Bihar Politics जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर जेल से बाहर आ गए हैं। उनके बेल की शर्त में बदलाव किया गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट की मानें तो उन्हें बिना शर्त जमानत दी गई है। हालांकि फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है। वह अपने घर पहुंच रहे हैं। थोड़ी देर में मीडिया से बात करेंगे।

    Hero Image
    जेल से बाहर आए प्रशांत किशोर। फोटो- एएनआई

    जागरण टीम, पटना। जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशाेर, उनके समर्थकों और बीपीएससी अभ्यर्थी के लिए सोमवार के 16 घंटे शह-मात से भरा रहा। सुबह पुलिस-प्रशासन तो दोपहर और उसके बाद कोर्ट परिसर में ऊहापोह की स्थिति बनी रही।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बेल बांड पर हस्ताक्षर नहीं करने के कारण पुलिस शाम में उन्हें बेउर जेल लेकर गई। वहां से कुछ ही देर बाद बेउर थाने लेकर चली गई।

    प्रशांत किशोर के अधिवक्ता शिवानंद गिरी ने बताया कि प्रशांत किशाेर की आपत्ति के बाद शाम में बेल बांड के कंडिशन में संशोधन किया गया। जिसके बाद प्रशांत किशोर ने बांड पर हस्ताक्षर किया।

    इसके बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। प्रशांत किशोर ने कहा कि सीडीजीएम ने मुझे तत्काल बेल दी थी, लेकिन जमानत की शर्त रखा गया कि आप फिर से ये सब नही करेंगे। यह कैसे संभव है।

    लोकतंत्र में विरोध तो मौलिक अधिकार है। इसलिए मैंने उस बेल बांड पर अपनी सहमति देने से इन्कार कर दिया। जेल जाना इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि यह एक मौलिक लड़ाई है।

    बिहार में महिलाओं और युवाओं पर लाठी चलाना जायज है और उसके खिलाफ आवाज उठाना जुर्म है, तो हम जेल जाने के लिए तैयार हैं। अनशन जारी रहेगा।

    अल-सुबह 4:00 बजे गांधी मैदान पहुंची दलबल के साथ पुलिस-प्रशासन

    बीपीएससी एकीकृत 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा रद करने सहित शिक्षा व परीक्षा व्यवस्था में धांधली की जांच आदि मुद्दों को लेकर दो दिसंबर से आमरन अनशन कर रहे प्रशांत किशोर को सुबह 4:00 बजे पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची।

    इसके बाद पांच घंटे तक एंबुलेंस में पुलिस-प्रशासन उन्हें घुमाता रहा। प्रशांत किशोर ने बताया कि सबसे पहले पुलिस एम्स पटना लेकर पहुंची। एम्स प्रशासन ने भर्ती से इन्कार कर दिया।

    इसके बाद विभिन्न स्थानाें पर घुमाते हुए फतुआ स्थित सामुदायिक अस्पताल ले गई। प्रशासन के लोग डॉक्टरों से मेरा परीक्षण कराकर एक सर्टिफिकेट लेना चाहते थे। मैंने उसकी इजाजत नहीं दी, क्योंकि मैं कोई गलत काम नहीं किया, जिस कारण से डाक्टर ने सार्टिफिकेट नहीं दिया।

    उन्होंने किसी गैरकानूनी काम में साथ नहीं दिया। इसके बाद पुलिस ने मेरा एक वीडियो रिकार्डिंग करवाया, जिसमें पूछा गया मैं परीक्षण क्यों नहीं करवा रहा हूं। इसके बाद पुलिस पीरबहोर स्थित कोर्ट परिसर पहुंची।

    प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी निंदनीय : माले

    • दूसरी ओर, भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी और सरकार के दमन की कड़ी निंदा की है।
    • कुणाल ने कहा कि सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग के अभ्यर्थियों की मांगों को सुनने की बजाय उलटे ठंड के मौसम में बेरहमी से लाठियां चलायी, वाटर कैनन का प्रयोग किया गया।
    • अभ्यर्थियों सहित आंदोलन के समर्थन में पहुंचे माले, भाकपा, माकपा और कांग्रेस के विधायकों सहित अन्य लोगों पर फर्जी मुकदमा किया।
    • इस दमन का पूरे देश में विरोध हुआ, उसकी निंदा हुई, बावजूद सरकार बाज नहीं आई और न ही बिहार लोक सेवा आयोग की पुनर्परीक्षा करवाई।