ट्रेन में युवाओं को दिखाए जा रहे नौकरी के सब्जबाग, गंभीर बीमारियों के इलाज का भी दावा
बिहार की ट्रेनों में लुभावने पोस्टर जिस पर आकर्षक सैलरी के साथ नौकरी का ऑफर होता है, युवा इसके चक्कर में फंस कर ठगे जा रहे हैं।
पटना [रविशंकर शुक्ला]। युवाओं को नौकरी देने में केंद्र से राज्य सरकार के पसीने छूटे हुए हैं। वहीं ट्रेनों में आकर्षक सैलरी के साथ नौकरी का ऑफर। वह भी बगैर किसी परीक्षा एवं साक्षात्कार के। नौकरी के साथ सुविधाएं भी ऐसी जो सरकार भी नहीं दे सकती। रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे युवा इन लुभावने पोस्टरों के चक्कर में फंस जा रहे हैं। रेलवे की नजर में ट्रेन में ऐसे पोस्टर लगाना अपराध है। पेश है पटना-बरौनी 63267 एवं मुजफ्फरपुर से पटना जाने वाली 63280 मेमू ट्रेन से लाइव।
पटना-बरौनी मेमू ट्रेन
रात्रि के 9.30 बजे हैं। मैं हूं पटना से बरौनी जा रही मेमू ट्रेन में। अचानक नजर ट्रेन की बोगी में सटे पोस्टर पर पड़ी। पोस्टर में नौकरी का आकर्षक ऑफर। कंपनी में लड़का-लड़की की आवश्यकता है। योग्यता के अनुसार सैलरी। आठवीं पास हेल्पर, सैलरी 8500 रुपये। मैट्रिक पास सुपरवाइजर, सैलरी 14000 रुपये। इंटर पास मैनेजर, सैलरी 16000 रुपये। बीए पास ऑफिस मैनेजर, सैलरी 20000 रुपये एवं बीकॉम या बीएड पास टेक्निकल डायरेक्टर, सैलरी 30000 रुपये।
इतना ही नहीं साथ में रहना, खाना, मेडिकल फ्री। हॉस्टल एवं मोबाइल की सुविधा भी। जिला के अनुसार ड्यूटी दी जाएगी। केवल गया, पटना, जहानाबाद, डिहरी एवं नवादा के लिए। हद तो यह है कि पोस्टर पर सरकार का रजिस्टर्ड नंबर भी लिखा है। पोस्टर पर दो मोबाइल नंबर भी दिए गए हैं। इसी तरह के और भी कई आकर्षक पोस्टर। हद तो यह है कि पूरी ट्रेन में एक-दो नहीं, हजारों ऐसे पोस्टर सटे दिखे।
मुजफ्फरपुर-पटना मेमू ट्रेन
सुबह के 10.30 बजे हैं। मैं हूं मुजफ्फरपुर से पटना जा रही मेमू ट्रेन में। यहां बोगी में पीले रंग के पोस्टर सटे हैं। बिहार में रोजगार के अवसर। एक आयुर्वेदिक कंपनी के नाम से जारी पोस्टर में आठवीं पास हेल्पर एवं गार्ड, सैलरी 9000 से 10000। दसवीं पास स्टोर कीपर एवं फील्ड ऑफिसर, सैलरी 10500 से 12000 तक। बारहवीं पास सीनियर सुपरवाइजर, सैलरी 13000 से 14000 तक। स्नातक असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर, सैलरी 14000 से 15500 तक। एमबीए एवं बीबीए ब्रांच मैनेजर, सैलरी 17000 से 18500 तक।
लुभाने को यह भी लिखा गया, बिना साक्षात्कार डायरेक्ट नियुक्ति, अपने जिले में। ट्रेन की सभी बोगी में हजारों पोस्टर सटे दिखे। इतना ही नहीं, रोजगार के साथ गठिया के मरीजों के इलाज का पोस्टर भी है। दावा, रोग तीन खुराक में समाप्त। मोबाइल नंबर एवं पता भी पोस्टर पर।
ट्रेन एवं रेल परिसर में बगैर रेलवे की अनुमति के किसी प्रकार का पोस्टर साटना एवं प्रचार करना अपराध है। रेलवे सुरक्षा बल को इसका संज्ञान लेना चाहिए। जहां से ट्रेन खुलती है, वहां ऐसे पोस्टरों को निश्चित तौर पर हटा देना चाहिए। जहां तक लुभावने पोस्टरों का सवाल है तो यह और भी आपत्तिजनक है। ऐसे पोस्टरों पर कोई नाम-पता नहीं होता। इस कारण प्राथमिकी करने में दिक्कत होती है। रेलवे इसे लेकर गंभीर है और कार्रवाई की जाएगी।
एके पांडेय
सीनियर डीसीएम
रेल डिवीजन, सोनपुर