नेताओं की अमार्यादित भाषा से गिर रहा राजनीति का स्तर
दिन-प्रतिदिन नेताओं की भाषा अमर्यादित होती जा रही है।
दिन-प्रतिदिन नेताओं की भाषा अमर्यादित होती जा रही है। इसी के साथ राजनीति का स्तर भी गिरता जा रहा है। राजनीति में काफी गिरावट आई है, नेता इसका परिचय आचरण से तो दे ही रहे हैं, भाषा से भी ये साबित कर रहे हैं। यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी वे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे गालीगलौच कहना भी गलत नहीं होगा। यूथ जंक्शन में राजनीति में भाषाओं की गिरते स्तर पर इस बार युवाओं ने की बातचीत..
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राजनीति में आए दिनों जिस तरह से नेताओं द्वारा अमर्यादित और स्तरहीन भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, वह पूरी तरह से लोकतंत्र के विपरीत है। इससे हमारी लोकतात्रिक राजनीति पूरी तरह से प्रभावित हो रही है।
-पूजा कुमारी
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अगर सच में राजनीति में सुधार चाहते हैं तो शिक्षित युवाओं को राजनीति में आना होगा, क्योंकि इससे न केवल समग्र विकास को बल मिलेगा बल्कि देश के विकास को नया नजरिया मिलेगा ।
-रजनी उपाध्याय
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आज जो नेता जितना विवादित बयान देता है उसे उतना अच्छा नेता पार्टी द्वारा माना जाता है। इसका ताजा उदाहरण यूपी के चुनाव परिणाम को लेकर देखा जा सकता है। आम जनता को उनकी राजनीति समझनी होगी।
-मनीष कुमार
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नेताओं द्वारा स्तरहीन भाषा का प्रयोग किया जाना कोई नई बात नहीं हैं। इसके लिए निश्चित तौर पर कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि चुनाव के वक्त हम चंद रुपये व जाति के लिए अपने वोट को बेच देते हैं।
-नेहा द्विवेदी
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न्यायपालिका द्वारा सार्वजनिक मंच से स्तरहीन भाषा का प्रयोग करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी प्रावधान करना चाहिए। इस मामले में कठोर सजा का प्रावधान करना चाहिए, तभी नेताओं की जुबान पर ताला लगेगा।
-विकास कुमार
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वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि आज की राजनीति दिशाहीन हो गई है। कोई भी पार्टी या नेता विकास को अपने चुनाव प्रचार का मुद्दा नहीं बनाना चाहता है, लिहाजा परिणाम सामने है।
-सृष्टि गुप्ता
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सदन के अंदर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने वाले नेताओं की सदस्यता तत्काल प्रभाव से अध्यक्ष द्वारा निलंबित कर देने का प्रावधान होना चाहिए। केवल माफी मागने भर से उन्हें कतई माफ नहीं करना चाहिए।
-विश्वजीत कुमार
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नेता तो बोलते रहेंगे, क्योंकि बोलना उनका काम है। तय तो हम लोगों को करना है कि क्या सुनें और क्या न सुनें। स्तरहीन भाषा का प्रयोग करने वाले नेताओं का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए।
-सुधाशु कुमार
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सरकार को चाहिए कि वह विभिन्न चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता लागू करें। राजनीति को गंदा बनाने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका अनपढ़ प्रतिनिधि निभा रहे हैं।
-निहाल खान
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देश में दंगा और उपद्रव फैलाने का वाले कोई और नहीं हमारे नेता ही हैं। ये सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं। फिर भी हमलोग इन्हें सदन में भेज रहे हैं तो इससे साबित होता है कि सबसे बड़े जिम्मेवार तो हमलोग हैं।
-मुकेश कुमार
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नेताओं के निशाने पर सबसे अधिक महिलाएं रही हैं। महिलाओं के खिलाफ लगभग हर दल के नेताओं ने अमर्यादित टिप्पणी की है। जो महिलाओं का सम्मान तक नहीं कर सकते, उनसे क्या और कैसी अपेक्षा रख सकते हैं?
-अनिल दास
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हाल में संपन्न यूपी चुनाव को ही अगर देखा जाए तो पता चलता है कि हमारे जनप्रतिनिधियों के भाषा का स्तर क्या है। परंतु, फिर भी हमलोग उन्हीं नेताओं को वोट कर रहे हैं। इससे उनलोगों का हौसला बढ़ जाता है।
-मुकेश कुमार यादव
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आज से दो से तीन दशक पहले पढ़े-लिखे लोग लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए समाज के आगे-आगे चलते थे, बाकि लोग उनके पीछे-पीछे। आज की स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई है।
-स्पूर्ति कुमारी
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नेताओं के स्तरहीन भाषा को बढ़ावा देने में सबसे अहम भूमिका आज मीडिया निभा रहा है। मीडिया को चाहिए कि ऐसे नेताओं की बातों को जरा भी तरजीह न दे। इससे स्वत: उनका मनोबल ध्वस्त हो जाएगा।
-लवली कुमारी
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आज भी हमारे देश में शिक्षा का हाल बेहाल है। शिक्षा और जानकारी के अभाव में लोग गलत नेताओं को भी सही मान लेते हैं। सरकार को चाहिए कि सबसे पहले शिक्षा में सुधार करे। तभी लोग जागरूक होंगे।
-रणधीर कुमार
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बिहार में विधानसभा चुनाव के समय जिस तरह से पीएम मोदी द्वारा बिहार के सीएम के डीएनए को लेकर बयान दिया गया था, उसका सबसे खराब प्रभाव समाज पर पड़ता है। लोगों को पद की गरिमा बनाए रखना चाहिए।
-सुमित कुमार
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