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    Bihar Politics: राजीव प्रताप रूडी के गृह क्षेत्र से कौन होगा बीजेपी का प्रत्याशी? जल्द उठेगा पर्दा

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 03:16 PM (IST)

    बिहार के सारण जिले का अमनौर क्षेत्र में तीन बार चुनाव हुए और तीनों बार एनडीए जीती है। राजीव प्रताप रूडी के क्षेत्र होने से यह सीट दिलचस्प है। इस बार बीजेपी के दो प्रत्याशी आमने-सामने हैं मंत्री कृष्ण कुमार मंटू और अभिषेक सिंह कुशवाहा। जातिगत समीकरणों के अनुसार यहाँ यादव राजपूत और कुशवाहा जाति के लोग अधिक हैं।

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    अमनौर में बीजेपी के दो प्रत्याशी आमने-सामने

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के सारण जिले का 'अमनौर' प्रखंड अपनी समृद्ध केले की खेती के लिए प्रसिद्ध है। गंडक नदी के निकट होने के कारण यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है, पर सियासी मैदान बहुत ही जटिल है। यह सीट 2008 के परीसीमन के बाद अस्तित्व में आयी।

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    दिलचस्प बात ये है कि यहां पर अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुआ और तीनों बार एनडीए ने बाजी मारी है। राजीव प्रताप रूडी के गृह क्षेत्र होने के कारण ये सीट और भी ज्यादा दिलचस्प है।  

    यह क्षेत्र एनडीए के लिए बहुत ही खास क्षेत्र में से एक है। इस बार के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में बीजेपी के दो प्रत्याशी आमने-सामने दिख रहे है।

    एक जो कि अभी विधायक है और राज्य सरकार में मंत्री कृष्ण कुमार मंटू तो वहीं दूसरा जो कि दो बार से मंडल अध्यक्ष और बीजेपी अमनौर मंडल के एक सक्रिय और समर्पित नेता हैं अभिषेक सिंह कुशवाहा

    कृष्ण कुमार मंटू

    • वर्तमान पद: बिहार सरकार में मंत्री, अमनौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक
    • पार्टी: भारतीय जनता पार्टी (BJP)
    • जातीय पृष्ठभूमि: कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं
    • राजनीतिक सफर: 2010 में जदयू से पहली बार विधायक बने, 2020 में BJP से पुनः विधायक चुने गए
    • प्रभाव: सांसद राजीव प्रताप रूडी के करीबी माने जाते हैं
    • विवाद: दबंग छवि और आपराधिक मामलों का इतिहास
    • सकारात्मक पहलू: कुर्मी एकता रैली के माध्यम से चर्चा में आए, मंत्री बनने के बाद सक्रियता

    अभिषेक सिंह कुशवाहा

    • पद: BJP अमनौर मंडल अध्यक्ष (दो कार्यकाल)
    • पार्टी: भारतीय जनता पार्टी (BJP)
    • शैक्षणिक योग्यता: जंतु विज्ञान में स्नातक, विधि में स्नातक
    • पारिवारिक पृष्ठभूमि: स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक परिवार से
    • सामाजिक भूमिका: समाज के सभी वर्गों में सक्रिय, साफ-सुथरी छवि
    • राजनीतिक योगदान: पार्टी के कार्यक्रमों और जन कल्याणकारी योजनाओं में सक्रिय

    जातिगत समीकरण के आधार पर अमनौर का हाल

    अगर हम जातिगत समीकरण पर बात करें तो अमनौर में सबसे ज्यादा यादव जाति के लोग रहते है। दूसरे नंबर पर राजपूत तो तीसरे नंबर पर कुशवाहा जाति के लोग है, चौथे पर वैश्य समाज तो पांचवे नंबर पर कुर्मी समाज के लोग है।

    इसी तरह अन्य जातियों की बात करें तो थोड़े-थोड़े संख्या में सभी लोग इस क्षेत्र में मौजूद है। वहीं मुस्लिम जाति कि बात करें तो यहां पर करीब-करीब 1500 मुस्लमान है।

    अगर इस आधार पर दोनों प्रत्याशी को देखे तो कृष्ण कुमार मंटू चूंकि "कुर्मी" जाति से आते है जो कि क्षेत्र में पांचवे स्थान पर है वहीं अभिषेक कुमार कुशवाहा "कुशवाहा" जाति से है जो कि तीसरे नंबर पर है।

    अगर जातिगत आधार पर बीजेपी उम्मीद्वार बनाती है तो अभिषेक का पलरा थोड़ा भारी दिख रहा है पर मंटू का पलरा क्षेत्र के हिसाब से भारी है तो देखना ये होगा कि पार्टी किसे उम्मीदवार बनाती है।

    रूडी से मंटू के बीच में अंदरूनी वार

    2020 के विधानसभा चुनाव में सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपने व्यक्तिगत भाजपा विधायक का टिकट का कहकर जदयू से बुलाकर कृष्ण कुमार मंटू को प्रत्याशी बनाया था।

    इसके बावजूद वो नामांकन के बाद से पूरे चुनाव तक अस्पताल में भर्ती रहे जिस कारण चुनाव में सांसद ने अपना व्यक्तिगत चुनाव समझकर स्वयं उस सीट पर लड़ा और प्रचार करके उन्हें जीत दिलाया पर उसके बाद भी वो उसे भूल गए जो कि बीजेपी और रूडी दोनों के लिए ठेस पहुंचने का काम किया। 

    प्रत्याशी बनने की संभावनाएं

    अगर बात कृष्ण कुमार मंटू कि करें तो वर्तमान में मंत्री होने के नाते मजबूत स्थिति में हैं, वहीं अभिषेक सिंह कुशवाहा युवा और सक्रिय नेता, साफ छवि, लेकिन अनुभव और संगठनात्मक पकड़ देखनी होगी।

    अगर पार्टी में पकड़ कि बात करें तो जहां मंटू की पकड़ पहले से मजबूत है तो वहीं अभिषेक की सम्राट चौधरी और रूडी के करीबी माने जाते हैं।

    इसके साथ ही संघ का स्वयंसेवक होने से संघ में भी अच्छी पकड़ है। पर इन सब के बावजूद बीजेपी की आंतरिक राजनीति और स्थानीय संगठन की पसंद निर्णायक होगी। 

    देखना ये है की सीट बंटवारा के बाद बीजेपी इस सीट के लिए किसे उम्मीद्वार बनाती है क्या नया और युवा चेहरा अभिषेक सिंह कुशवाहा चेहरा को सामने लाएगा या फिर नीतीश के चहेते कृष्ण कुमार मंटू पर ही हाथ आजमाएंगे। ये तो वक्त बतायेगा क्योंकि राजनीति में उलट-पुलट होना कोई नई बात नहीं।