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पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में हैं बड़े-बड़े नाम, घमासान होगा सत्ता का संग्राम

पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में सत्ता के संग्राम में बड़े-बड़े नाम शामिल हैं इसीलिए माना जा रहा है कि यहां सत्ता के संग्राम में इस बार भी घमासान मचना तय है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 07:32 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 10:41 PM (IST)
पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में हैं बड़े-बड़े नाम, घमासान होगा सत्ता का संग्राम
पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में हैं बड़े-बड़े नाम, घमासान होगा सत्ता का संग्राम

पटना [अरविंद शर्मा]। पाटलिपुत्र की संसदीय सियासत के लिए अभी से जोड़-तोड़ और होड़ शुरू है। जितना पुराना नाम, उतनी ही बड़ी लड़ाई के हालात बन रहे हैं। पिछली बार का चुनाव भी आसान नहीं था। दो बड़े सियासी दलों की प्रतिष्ठा दांव पर थी।

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वैसे तो 20 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबले में चार थे। दो के बीच तो घमासान की स्थिति थी। अबकी फिर उन्हीं दोनों की तैयारी है। भाजपा के केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और राजद की मीसा भारती। तीसरे-चौथे की दावेदारी अभी पर्दे में दौड़ रही है।

कभी लालू प्रसाद तो कभी नीतीश कुमार के करीबी रह चुके रंजन प्रसाद यादव अभी पूरी तरह भाजपा के रंग में रंगे हैं। पाटलिपुत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए दोबारा बेकरार हैं। भाजपा अगर रामकृपाल को इधर-उधर करती है तो रंजन के लिए मौका होगा, जिसे वह लपकने में देर नहीं करेंगे।

रंजन को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद का भी करीबी माना जाता है। वैसे भाजपा में प्रत्याशी को लेकर अभी हलचल नहीं है। सबकुछ बिहार को लेकर आलाकमान की रणनीति पर निर्भर करेगा। जैसी हवा, वैसा प्रत्याशी। लालू प्रसाद के मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण से मुकाबले के लिए दूसरे समुदाय में ताक-झांक की जा सकती है। विरोधी दलों को भी टटोला जा रहा है।

यादव से अलग भूमिहार, कुर्मी या वैश्य उम्मीदवार पर भी विचार किया जा सकता है। महागठबंधन में मीसा भारती ने खुद को उम्मीदवार मानकर क्षेत्र में आना-जाना और मतदाताओं का मूड भांपना शुरू कर दिया है, किंतु कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी राजद की दावेदारी को अनुकूल नहीं मान रहे हैं।

हाजीपुर में रामविलास पासवान से पिछला चुनाव हार चुके संजीव ने आलाकमान को समझा दिया है कि परिसीमन के बाद से अबतक एक भी चुनाव में पाटलिपुत्र के लोगों ने लालू परिवार पर भरोसा नहीं किया है। खुद लालू को भी हार का सामना करना पड़ा है।

मतदाताओं ने मीसा का भी साथ नहीं दिया है। गैर यादव उम्मीदवार को आगे करके जीतने की तैयारी भी। तर्क है कि 2009 में कांग्रेस ने विजय कुमार यादव को प्रत्याशी बनाया था, जिन्हें भाकपा माले के प्रत्याशी से भी आधे वोट मिले थे।

यादव-भूमिहार बहुल इस सीट के लिए कांग्रेस के विनोद शर्मा दिल्ली की दौड़ लगा चुके हैं। वैसे मसौढ़ी वाले कपिल देव यादव की ख्वाहिश है कि लालू परिवार से अलग किसी यादव को ही प्रत्याशी बनाया जाए। विधानसभा क्षेत्र

 दानापुर (भाजपा)

फुलवारी (जदयू)

मनेर (राजद)

मसौढ़ी (राजद)

पालीगंज (राजद)

बिक्रम (कांग्रेस)

रामकृपाल यादव : भाजपा

डॉ. मीसा भारती : राजद

रंजन प्रसाद यादव : जदयू

रामेश्वर प्रसाद : भाकपा माले

2009 के चुनाव में जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद को हराया था। 2008 के परिसीमन से पहले पाटलिपुत्र का संसदीय इतिहास नहीं रहा है। तीन लोकसभा क्षेत्रों से लेकर इसे बनाया गया। जहानाबाद से मसौढ़ी, आरा से पालीगंज एवं मनेर तथा पटना लोकसभा से फुलवारी, दानापुर व बिक्रम विधानसभा क्षेत्रों को शामिल कर नया नाम दिया गया। पाटलिपुत्र को दुनिया का पुराना शहर माना जाता है।


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