PMCH में अव्यवस्था पर गंभीर आरोप: ऑपरेशन के दौरान तीन वर्षीय बच्ची की मौत, परिजनों ने उठाई विस्तृत जांच की मांग
पटना के पीएमसीएच में ऑपरेशन के दौरान तीन वर्षीय बच्ची की मौत हो गई, जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना ...और पढ़ें

PMCH में 3 साल की अवंतिका राय के पैर का ऑपरेशन हुआ था। (फाइल फोटो)।
जागरण संवाददाता, पटना। पीएमसीएच में कथित अव्यवस्था और चिकित्सा लापरवाही के आरोप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शुक्रवार को ऑपरेशन के दौरान तीन वर्षीय अवंतिका राय की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और हड्डी रोग विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिवार का कहना है कि बच्ची के पैर का ऑपरेशन किया जा रहा था, इसी दौरान उसे बेहोशी देने के बाद वह दोबारा होश में नहीं आ सकी। परिजनों के अनुसार, ऑपरेशन प्रक्रिया जूनियर डॉक्टरों के भरोसे छोड़ दी गई और निगरानी में भारी कमी रही।
परिजन आरोप लगाते हैं कि हड्डी रोग विभाग की यूनिट में ऑपरेशन के दौरान वरिष्ठ चिकित्सक की उचित उपस्थिति नहीं थी।
उन्होंने कहा कि यदि समय पर अनुभवी डॉक्टरों की निगरानी रहती तो शायद बच्ची की जान बचाई जा सकती थी।
हालांकि ऑपरेशन की मॉनिटरिंग के लिए नामित वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. महेश प्रसाद ने सभी आरोपों से इनकार किया है।
उनका कहना है कि प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की तकनीकी या चिकित्सा गड़बड़ी उनकी जानकारी में नहीं हुई।
इस घटना के बाद अस्पताल के ओटी-पांच की तकनीकी खामियां एक बार फिर चर्चा में हैं। अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि यहां दो ऑपरेशन थियेटर मौजूद हैं, लेकिन बेहोशी देने वाली आधुनिक प्रमुख मशीन सिर्फ एक ही है।
ऐसे में जब एक साथ दो सर्जरी चलती हैं, तो एक मरीज को मजबूरन मैनुअल तरीके से जनरल एनेस्थीसिया देना पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मैनुअल एनेस्थीसिया के दौरान दवा की सटीक मात्रा बनाए रखना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। थोड़ा-सा अंतर भी मरीज की जान के लिए जोखिम बन सकता है।
चिकित्सकों का यह भी कहना है कि ओटी में उपयोग हो रही मशीनें काफी पुरानी हैं और आधुनिक एनेस्थीसिया वर्कस्टेशन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की सख्त जरूरत है।
विभाग द्वारा कई बार मशीनों के नवीनीकरण की मांग किए जाने के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है।
घटना से आहत परिजनों ने सोशल मीडिया पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाई है और निष्पक्ष, पारदर्शी जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि यदि अस्पताल में समय रहते व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया गया होता, तो बच्ची की जान नहीं जाती।
उधर, अस्पताल प्रबंधन की ओर से अब तक घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
परिजन उम्मीद कर रहे हैं कि मामले की गहन जांच हो ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियों से किसी और परिवार को दर्द न झेलना पड़े।

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