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    आत्मनिर्भरता की बस पर सवार होने को तैयार वंचित समाज की बेटियां, चालक बनकर भरेंगी नई उड़ान

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 10:30 AM (IST)

    दानापुर के नारी गुंजन छात्रावास की छह युवतियां जल्द ही पिंक बस चालक बनेंगी। उन्हें छात्रावास में ही वाहन चलाने का प्रशिक्षण मिला है। समाज कल्याण विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने छात्राओं को शुभकामनाएं दीं। प्रशिक्षण प्राप्त कर युवतियां आत्मनिर्भर बनने के लिए उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वे अब कुशल चालक बनकर दूसरी लड़कियों को भी प्रेरित करेंगी।

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    छह बेटियां भरेंगीं उड़ान, एचएमवी प्रशिक्षण कर लौटीं आत्मनिर्भरता की ओर

    संवाद सहयोगी, दानापुर। नारी गुंजन छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण करने वाली छह युवतियां अब जल्द ही महिलाओं के लिए चलाई गई पिंक बस की चालक बनेंगी। इसको लेकर नारी गुंजन की सचिव सुधा वर्गीज प्रयास में जुटी हैं।

    नारी गुंजन के प्रेरणा छात्रावास में रहकर पढाई कर रहीं युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वाहन चलाने का प्रशिक्षण दिलवाया गया। सेंटर की 6 बच्चियों को बड़े वाहन चलाने का प्रशिक्षण दिलवाया साथ ही लाइसेंस दिलवाया।

    हेवी मोटर व्हीकल का प्रशिक्षण

    इन युवतियों को हेवी मोटर व्हीकल (एचएमवी) प्रशिक्षण दिलवाई गई। साथ ही पिंक बस पर चालक के रूप में महिला चालक के रूप में इन्हें भर्ती कराने को लेकर प्रयास शुरू कर दी है। एक माह का सफलतापूर्वक पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटी छात्राओं की खुशियां शुक्रवार को देखते ही बन रही थी।

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    छात्राओं ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया कदम बढ़ाया है। शुक्रवार को उन बच्चियो को शुभकामना देने समाज कल्याण विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी लालकोठी स्थित नारी गुंजन के प्ररेणा छात्रावास पहुंचीं।

    औरंगाबाद में हुई ट्रेनिंग

    उन्होंने कहा कि दो साल का प्रयास रंग लाया। इसको लेकर युवतियों का चयन कर एक माह का औरंगाबाद में मारुति और ट्रांसपोर्ट विभाग के साथ मिलकर एक माह का विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया। इसी बीच महिलाओ के लिए पिंक बस सेवा शुरू हुई।

    हैवी मोटर व्हीकल (एचएमवी) प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये युवतियां सड़क पर बस चलाने को तैयार हैं। उन्होंने युवतियों से कहा कि ये संवेदनशील काम है। गाड़ी व सवारी दोनों की सुरक्षा की जिम्मेवारी आपकी होगी।

    नारी गुंजन परियोजना का लाभ

    पद्मश्री से सम्मानित सुधा वर्गीज ने कहा कि ये सभी छात्राएं बचपन से ही नारी गुंजन की परियोजनाओं से लाभान्वित होते हुए आत्मनिर्भर बनेंगीं। इसी क्रम में औरंगाबाद स्थित मोटर ट्रेनिंग स्कूल में जाने के लिए सभी छत्राओं को प्रोत्साहित किया गया।

    इन बेटियों का साहस और परिश्रम पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है। पिंक बस सेवा में यदि इनको नौकरी मिल जाती है तो यह न केवल इन्हें रोजगार प्रदान करेगी, बल्कि इनके जीवन में सकारात्मक और स्थायी बदलाव भी लाएंगी।

    छात्राओं को औरंगाबाद स्थित मोटर ट्रेनिंग स्कूल के प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करवाया गया था। यह प्रशिक्षण 18 अगस्त से 16 सितम्बर 2025 तक आयोजित हुआ।

    इन 6 बेटियों को मिला मौका

    इसमें पुनपुन के अलाउद्दीन चक के अजय मांझी की पुत्री रागिनी कुमारी, दिहरी निवासी महेन्द्र मांझी की पुत्री बेबी कुमारी, पइमार घाट पुनपुन निवासी नागेन्द्र रविदास की पुत्री गायत्री कुमारी, श्रीपालपुर पुनपुन निवासी मुनारिक मांझी की पुत्री अनिता कुमारी, सिकरहटा तरारी भोजपुर निवासी संजय राम की पुत्री आरती कुमारी व पइमारघाट पुनपुन निवासी परदेशी मांझी की पुत्री सरस्वती कुमारी शामिल हैं।

    रागिनी कुमारी ने बताया कि संस्थान द्वारा शिक्षा के साथ हमे आगे बढ़ाने के दिशा में प्रयास किया गया है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आज चालक के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनूंगी।

    अब जल्दी ही हम भी कुशल चालक बन कर सशक्त होंगे। एक माह का प्रशिक्षण काफी अच्छा रहा। दूसरी बच्चिया प्ररित होंगे।

    बेबी ने बताया कि हमारा घर का हाल ठीक नहीं था। दीदी ने हम सभी को छात्रावास में लाकर पढाया और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। खेलकूद हो या कोई प्रतियोगिता सभी में क्षमतानुसार आगे बढ़ाया। कभी सोची नहीं थी कि मैं आत्मनिर्भर बनूंगी। काफी अच्छा लग रहा है। मै जल्दी ही बस चलाउंगी। आगे बढूंगी।

    गायत्री कुमारी के चेहरे पर वाहन चालक का प्रशिक्षण प्राप्त करने की खुशियां स्पष्ट दिख रही थीं। उसने बताया कि काफी अच्छा लग रहा है कि मै भी कुशल चालक बन गयी। चालक के रूप में मै भी सफल रहूंगी। जो कभी सोचा नही था वो पूरा होगया। आशा है जल्दी ही नौकरी मिलेगी। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

    अनिता कुमारी ने बताया कि पिताजी मजदूरी करते हैं। दीदी का सहारा मिला और हम यहां तक पहुंचे हैं। मैट्रिक तक की यहां से पढ़ाई की। इसके बाद गांव जाकर इंटर तक की पढाई पूरी की। समय समय पर छात्रावास से सहयोग मिलता रहा। इसी बीच वाहन चालक के प्रशिक्षण का पता चला और हमने प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह सोचकर काफी खुशी हो रही है कि मैं भी जल्द ही पिंक बस चला सकूंगी।

    आरती कुमारी ने बताया कि आज का दिन हमारे जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पिछले एक माह तक ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस मिला। मैं एक कुशल चालक बन गयी। अब कोई भी गाड़ी चला सकती हूं। अपने पैरो पर खड़ा हो गयी। अपने परिवार का सहयोगी बनूंगी। दूसरी बच्चियों को भी आगे बढने के लिए प्रेरित करूंगी।

    सरस्वती कुमारी कहती हैं कि जब चालक बनने के लिए आवेदन करने को कहा गया तो विश्वास नहीं हुआ था। प्रशिक्षण के लिए जब कहा गया तब विश्वास हुआ, लेकिन यह नहीं लगा कि मैं भी अच्छी चालक बन पाऊंगी। आज विश्वास हो गया। छात्रावास में रहने से शिक्षा के साथ रोजगार का अवसर मिला। ये सब सुधा दीदी का आशीर्वाद है।