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    Rohini Acharya Nomination: क्या रद्द हो जाएगा रोहिणी आचार्य का नामांकन? पटना हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका

    Updated: Thu, 16 May 2024 07:31 PM (IST)

    याचिकाकर्ता का कथन है कि रोहिणी के पासपोर्ट एवं कई महत्वपूर्ण तथ्यों की जांच नहीं की गई। जैसे कि उन्होंने सात वर्षों से अधिक समय से सिंगापुर में रहते हुए वहां की नागरिकता हासिल की है या नहीं? उन्होंने रोहिणी की नागरिकता पर भी सवाल उठाया। याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद-84 एवं 102 का हवाला देते हुए बताया गया है कि रोहिणी लोकसभा चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हैं।

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    क्या रद्द हो जाएगा रोहिणी आचार्य का नामांकन? पटना हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका

    राज्य ब्यूरो, पटना। सारण लोकसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी डॉ. रोहिणी आचार्य का नामांकन रद्द करने के लिए पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता नृपेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा रोहिणी के नामांकन को स्वीकृत करने को चुनौती दी है।

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    याचिकाकर्ता का कथन है कि रोहिणी के पासपोर्ट एवं कई महत्वपूर्ण तथ्यों की जांच नहीं की गई है। जैसे कि उन्होंने सात वर्षों से अधिक समय से सिंगापुर में रहते हुए वहां की नागरिकता हासिल की है या नहीं?

    'रोहिणी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं'

    याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद-84 एवं 102 का हवाला देते हुए बताया गया है कि रोहिणी लोकसभा चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हैं। अतः उनका नामांकन रद्द किया जाना चाहिए था। याचिका में कहा गया है रोहिणी सिंगापुर की निवासी हैं और अपने नामांकन पत्र के साथ दाखिल शपथ पत्र में अनेक गलत तथ्यों को अंकित किया है। जैसे कि घर का कोई पता सारण जिला या पटना जिला का नहीं दिया गया है। अपनी संपत्ति के विवरण में भी कोई पता का विवरण नहीं दिया है।

    'रोहिणी ने दी गलत जानकारी'

    आरोप लगाया गया कि उनके द्वारा दी गई आयकर विवरणी एवं बैंक खातों में जमा रकम एवं अचल संपत्ति का विवरण भी गलत दिया गया है। याचिकाकर्ता ने अपने को सारण लोकसभा क्षेत्र का मतदाता बताते हुए यह दावा किया है कि रोहिणी ने नामांकन पत्र एवं शपथ पत्र में अपने सिंगापुर के घर, आय एवं वहां के निवासी के रूप में अपनी स्थिति को पूरी तरह से छिपा लिया है। इस कारण वह सारण में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य थीं, लेकिन इसके बावजूद सारण के रिटर्निंग आफिसर ने उपरोक्त तथ्यों के बारे में बगैर जांच के उनका नामांकन पत्र स्वीकृत कर लिया।

    जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 36 के तहत उनका नामांकन स्वीकृत किए जाने से पहले जांच आवश्यक थी, जो नहीं हुई। इसलिए उनका नामांकन अवैध है। इस मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष वरीय अधिवक्ता एसडी संजय रख रहे हैं। याचिकाकर्ता ने यह भरोसा जताया है कि यदि रोहिणी चुनाव जीत भी जाती हैं तो भी उनका नामांकन रद्द होगा एवं मतदाताओं द्वारा उन्हें दिया गया वोट व्यर्थ हो जाएगा।

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