बिहार के पांच पूर्व विधायकों की पेंशन और दूसरी सुविधाएं बहाल, आठ साल पहले लगाई गई थी रोक
दल-बदल कानून के तहत करीब आठ वर्ष पूर्व बिहार के आठ विधायकों की पेंशन व अन्य सुविधाएं तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने रोक दी थी। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी वहां से राहत मिली है।

पटना, राज्य ब्यूरो। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने आठ साल पहले विधानसभा के आठ सदस्यों के पेंशन एवं अन्य सुविधाओं पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया है। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने 2014 में दल-बदल कानून के तहत इनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी। विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय गए थे। उनके मुताबिक बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने सभी तत्कालीन विधायकों को पूर्व विधायक की हैसियत से मिलने वाली सुविधाओं को बहाल करने का आदेश दिया है। उनके अधिवक्ता ने यह सूचना दी है। पेंशन के अलावा पूर्व विधायकों को इलाज की सुविधा दी जाती है। ये सुविधाएं इन्हें चुनाव जीतने की तिथि से ही दी जाएगी। रेल यात्रा के लिए मुफ्त कूपन भी दिया जाता है।
मालूम हो कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने 2010 में चुनाव जीते जिन विधायकों की सदस्यता 2014 में समाप्त की थी, उनमें शामिल हैं- ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, राहुल शर्मा, सुरेश चंचल, रवींद्र राय, अजीत कुमार, पूनम देवी, राजू कुमार सिंह और नीरज कुमार बब्लू। इनमें से तीन ज्ञानू, राजू कुमार सिंह और नीरज बबलू अभी विधायक हैं। इन्हें वेतन का लाभ मिल रहा है। न्यायालय के फैसले का लाभ अन्य पांच पूर्व विधायकों को मिलेगा।
बता दें कि 2014 में दल-बदल और क्रॉस वोटिंग मामले में कई विधायकों की सदस्यता रद की गई थी। इसके साथ ही उनके पेंशन आदि पर भी रोक लगा दी गई थी। कई विधायकों पर राज्यसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी के खिलाफ वोट करने का आरोप लगाया गया था। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष की अदालत ने इनकी सदस्यता रद करने पर मुहर लगाई। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू बाढ़ विधानसभा, नीरज सिंह बबलू छातापुर विधानसभा, रविंद्र राय महुआ विधानसभा, राहुल शर्मा घोषी विधानसभा, अजित कुमार मुजफ्फरपुर जिला के कांटी विधानसभा क्षेत्र, राजू सिंह साहेबगंज विधानसभा, पूनम देवी खगड़िया जबकि सुरेश चंचल मुजफ्फरपुर के सकरा से विधायक थे।
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