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    Bihar Lok Sabha Election: पवन सिंह से लेकर पप्पू यादव तक... निर्दलियों की साख दांव पर, 14 साल से नहीं खुला खाता

    Updated: Mon, 03 Jun 2024 07:33 PM (IST)

    बिहार में इस बार 200 से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें पूर्णिया से पूर्व सांसद पप्पू यादव सिवान से हेना शहाब काराकाट से भोजपुरी फिल्मस्टार पवन सिंह बक्सर से पूर्व आइपीएस आनंद मिश्र एवं ददन यादव और नवादा से विनोद यादव आदि ने खूब सुर्खियां बटोरीं। इनकी सभाओं में भीड़ तो आई मगर क्या यह भीड़ वोट में बदल पाई या नहीं इसकी पुष्टि चुनाव परिणाम ही करेगा।

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    पवन सिंह से लेकर पप्पू यादव तक... निर्दलियों की साख दांव पर, 14 साल से नहीं खुला खाता

    कुमार रजत, पटना। इस बार लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की साख भी दांव पर होगी। आखिरी बार बिहार में वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में दो निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। बांका से दिग्विजय सिंह और सिवान से ओमप्रकाश यादव ने निर्दलीय जीत दर्ज की थी। इसके दिग्विजय सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी पुतुल कुमारी ने वर्ष 2010 के उपुचनाव में जीत दर्ज की थी।

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    इसके बाद से हुए दो लोकसभा चुनावों में 400 निर्दलीय उम्मीदवारों को हार ही नसीब हुई है। बिहार में इस बार 200 से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें पूर्णिया से पूर्व सांसद पप्पू यादव, सिवान से हेना शहाब, काराकाट से भोजपुरी फिल्मस्टार पवन सिंह, बक्सर से पूर्व आइपीएस आनंद मिश्र एवं ददन यादव और नवादा से विनोद यादव आदि ने खूब सुर्खियां बटोरीं।

    इनकी सभाओं में भीड़ तो आई मगर क्या यह भीड़ वोट में बदल पाई या नहीं, इसकी पुष्टि चुनाव परिणाम ही करेगा। इन निर्दलीय प्रत्याशियों ने दोनों गठबंधनों के नेताओं की धुकधुकी बढ़ाई हुई है। पिछले पांच लोकसभा चुनावों का औसत निकालें तो सभी निर्दलीय उम्मीदवारों को पांच से छह प्रतिशत के बीच वोट मिलता रहा है। ऐसे में वोटों का बिखराव दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों के जीत-हार तय करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

    पिछले छह लोकसभा चुनावों में दो में ही जीते निर्दलीय

    पिछले 26 सालों में हुए छह लोकसभा चुनावों का इतिहास देखें तो महज दो चुनावों में ही निर्दलीय उम्मीदवार जीत का स्वाद चख सके हैं। वर्ष 2009 में कुल 304 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी समर में थे। इनमें बांका से दिग्विजय सिंह करीब 28 हजार और सिवान से ओमप्रकाश यादव ने करीब 63 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। इसके अलावा दो निर्दलीय प्रत्याशी दूसरे जबकि एक प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था।

    इसके अलावा 1999 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव करीब ढाई लाख वोटों से जीते थे। उस चुनाव में 187 निर्दलीय मैदान में थे जिनमें एक ने पहला, एक ने दूसरा और सात ने तीसरा स्थान हासिल किया था। पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो 231 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे जिनमें पहला तो दूर, कोई प्रत्याशी दूसरे स्थान पर भी नहीं आ सका।

    कुल 16 निर्दलीय प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। बाकी 200 से अधिक निर्दलियों का जमानत जब्त हो गया। वर्ष 2014 के मोदी लहर वाले चुनाव में 169 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे जिनमें एक भी प्रथम तीन उम्मीदवारों में जगह नहीं बना सका।

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