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    पीयू के प्रो. गिरीश चौधरी को मानद उपाधि की अनुशंसा पर सवाल, राजभवन से नियमानुकूल कार्रवाई की मांग

    Updated: Thu, 29 May 2025 03:53 PM (IST)

    पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सह बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी को 31 मई को मानद उपाधि प्रदान की जाएगी। पटना विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप प्रक्रिया पूरी नहीं करने पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। वर्तमान में सिर्फ सिंडिकेट से प्रस्ताव पारित कर राजभवन को भेजकर स्वीकृति ली गई है।

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    राजधानी स्थित पटना विश्वविद्यालय को मुख्य गेट।

    जागरण संवाददाता, पटना। पटना विश्वविद्यालय (पीयू) का दीक्षा समारोह 31 मई को पटना वीमेंस कालेज के वेरोनिका सभागार में आयोजित है। इसमें पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सह बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी को मानद उपाधि प्रदान की जाएगी।

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    प्रक्रिया पूरी नहीं करने पर प्रश्न खड़े किए जा रहे

    वहीं, पटना विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप प्रक्रिया पूरी नहीं करने पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। पूर्व कुलपतियों और सेवानिवृत्त शिक्षकों ने राजभवन से नियमानुकूल कार्रवाई की मांग की है। पटना विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार किसी को मानद उपाधि की अनुशंसा कुलाधिपति से करने के पहले एकेडमिक काउंसिल, सिंडिकेट और सीनेट के दो-तिहाई सदस्यों की स्वीकृति अनिवार्य है।

    वर्तमान में सिर्फ सिंडिकेट से प्रस्ताव पारित कर राजभवन को भेजकर स्वीकृति ली गई है। कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह को वाट्सएप पर एक्ट की प्रति भेजकर मामले पर पक्ष के लिए मैसेज व काल किया गया, उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।

    यह मामला उनके क्षेत्राधिकार के बाहर

    वहीं, मीडिया इंचार्ज प्रो. अनिल कुमार ने कहा कि यह मामला उनके क्षेत्राधिकार के बाहर का है। कुलपति ही बयान दे सकते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार प्रो. गिरीश कुमार चौधरी को मानद उपाधि उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय के अकादमिक, शोध और ढांचागत विकास में प्रगति के कारण दिया जा रहा है। 

    पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद को भी मानद उपाधि के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने संपर्क किया था। सहमति प्राप्त नहीं होने पर प्रक्रिया प्रारंभिक चरण से आगे नहीं बढ़ी। 2019 में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के तत्कालीन प्रभारी कुलपति प्रो. जीसीआर जायसवाल ने उत्तरप्रदेश के दो मंत्री सहित पांच को मानद उपाधि के लिए राजभवन को अनुशंसा भेजा था। कुलाधिपति ने इसकी अनुमति प्रदान नहीं की थी।

    क्या कहता है मानद उपाधि को लेकर पीयू का अधिनियम 

    पटना विश्वविद्यालय एक्ट 1961 के अनुसार ही वर्तमान में उपाधि प्रदान की जाती है। पटना साइंस कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. एसआर पद्मदेव ने बताया कि मानद उपाधि की जानकारी चैप्टर 13 में दी गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी को मानद उपाधि इस आधार पर प्रदान की जा सकती है कि वह अपनी प्रतिष्ठित स्थिति और योग्यता के कारण ऐसी उपाधि प्राप्त करने के लिए उपयुक्त और उचित व्यक्ति हैं।

    मानद उपाधि प्रदान करने की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाएगी। मानद उपाधि प्रदान करने की सिफारिश अकादमिक परिषद के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों और सिंडिकेट के दो-तिहाई सदस्यों की सिफारिश पर सीनेट की बैठक के समक्ष रखी जाएगी।

    यह प्रस्ताव तभी स्वीकार किया जाएगा जब सीनेट की बैठक में उपस्थित दो-तिहाई सदस्य उसका अनुमोदन करेंगे। इसके बाद उक्त सिफारिश को कुलाधिपति के समक्ष रखा जाएगा और उनकी पुष्टि होने पर ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योगदान के लिए संबंधित विशिष्ट व्यक्ति को मानद उपाधि प्रदान की जाएगी।