पटना की सड़कों पर जाम का जंजाल, अतिक्रमण और लापरवाही से बिगड़ी शहर की यातायात व्यवस्था
पटना शहर में अतिक्रमण और प्रशासनिक लापरवाही के कारण यातायात व्यवस्था बिगड़ गई है। सड़कों पर जाम लगना आम बात हो गई है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पैदल चलने वालों के लिए भी रास्ते मुश्किल हो गए हैं।
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मंडियों में यातायात व सुरक्षा व्यवस्था चरमराई, घंटों जाम में फंसे लोग। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, पटना सिटी। अनुमंडल अन्तर्गत अशोक राजपथ एक बार फिर अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चला गया है। मुख्य मार्ग पर घरों से निकले कचरे परेशानी का सबब बने हैं।
पुलिस-प्रशासन की शिथिलता का परिणाम है कि बीच सड़क पर ही ठेला-वाहन लगाकर दिन-रात लोड अनलोड किया जा रहा है। दीपावली के एक दिन पूर्व मंडियों में भीड़ काफी बढ़ी रही।
सुबह से रात तक मुख्य मार्ग जाम होने से उसमें लोग घंटों फंस कर परेशान होते रहे। सड़क पर कब्जा जमाने वालों पर शिकंजा कसने तथा जाम से छुटकारा दिलाने के लिए पुलिस नहीं दिखी।
मच्छरहट्टा, पश्चिम दरवाजा, मारूफगंज में दीपावली की खरीदारी के लिए आने वाले लोगों को दिन-रात जाम की समस्या से जूझना पड़ा। स्थिति यह रही कि एक किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटे लग रहे थे।
पश्चिम दरवाजा से मालसलामी तक नौ से रात ग्यारह बजे तक ऐसा ही नजारा देखने को मिला। साइकिल रिक्शा, ई-रिक्शा, जुगाड़ गाड़ी, ठेला, पिकअप वैन आदि के कारण यह स्थिति बनी रही।
त्योहार के दौरान खाजेकलां थाना क्षेत्र स्थित मच्छरहट्टा मंडी की व्यवस्था चरमरा गई। सड़क के दोनों किनारे फुटपाथ पर सैकड़ों अवैध दुकानें स्थायी रूप से स्थापित हो गई हैं। मच्छरहट्टा के पास रविवार की दोपहर से 10 बजे रात तक घंटों जाम लगने से राहगीर परेशान रहे। खाजेकलां घाट मार्ग भी दिनभर जाम रहा।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि त्योहार को देखते हुए यातायात व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए कहीं पुलिस नजर नहीं आ रही है। सुरक्षा का भी बाजार में कोई इंतजाम नहीं है। मंडी में अवैध दुकान व पार्किंग से पैदल चलना मुश्किल हो गया है।
अनुमंडल क्षेत्र के महेन्द्रू, पत्थर की मस्जिद मोड़, शाहगंज, पश्चिम दरवाजा, मीनाबाजार, गुलजारबाग स्टेशन रोड, मच्छरहट्टा, चौक, झाऊगंज, मालसलामी, मंसूरगंज आदि इलाकों की सड़कों पर दस बजे दिन से दस बजे रात तक जाम लगता है।
इन जगहों पर सड़क से कब्जा हटाने के लिए नगर निगम द्वारा चलाया गया अभियान बेमानी साबित हो रहा है। जाम में फंसे वाहनों को नियंत्रित करने के लिए अनुमंडल पुलिस-प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई।
जाम के कारण लोगों का पैदल चलना कठिन हो गया। प्रशासन तथा निगम के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अशोक राजपथ को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए कई बार अभियान चलाया गया लेकिन स्थानीय थानों की लापरवाही से अतिक्रमणकारी फिर काबिज हो जाते हैं। जाम में फंसे वाहनों को नियंत्रित करने में पुलिस रुचि नहीं लेती है।
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