Patna Traffic: पटना में जाम का असली कारण क्या? 2 घंटे में 6 किमी का सफर पूरा करने को मजबूर
पटना में मंगलवार को यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। प्रमुख सड़कों पर भयंकर जाम लगने से लोगों को भारी परेशानी हुई। अतिक्रमण और अवैध पार्किंग जाम का मुख्य कारण हैं जिससे छात्रों और कार्यालय कर्मियों को अधिक दिक्कत हो रही है। शहर में अतिक्रमण हटाने के अभियान के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है जिससे लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है।

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी की यातायात व्यवस्था मंगलवार को पूरी तरह पस्त दिखी। सभी प्रमुख सड़कें जाम से कराहती रही। पाटलिपुत्र, बोरिंग रोड, नेहरू पथ, गांधी मैदान, यहां तक जेपी गंगा पथ भी जाम हो गया है। लगभग सभी इलाकों में स्कूल और कार्यालय जाने और छुट्टी के समय वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं।
स्थिति यह हो गई कि एक-दो किलोमीटर की दूरी तय करने में एक-एक घंटा लग रहा था। यह हर दिन की समस्या हो गई है। रोजाना घंटों सड़क पर जाम में फंसकर अपना समय और धैर्य दोनों गंवा रहे हैं।
शहर की सड़कों पर अतिक्रमण और अवैध पार्किंग जाम का सबसे बड़ा कारण है। दुकानदारों ने फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है, वहीं सड़क किनारे बिना अनुमति के गाड़ियां खड़ी कर दी जाती हैं। निर्माण कार्य भी जाम को बढ़ावा दे रहे हैं।
बच्चों और ऑफिस कर्मियों को सबसे ज्यादा दिक्कत
सुबह और दोपहर बाद जाम में फंसी स्कूली बसें, ऑटो, बाइक के कारण बच्चों को स्कूल और घर पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ऑफिस जानेवाले तो हर दिन इस समस्या से जूझते हैं।
कंकड़बाग के रमेश कुमार ने बताया कि घर से कार्यालय की दूरी महज छह किलोमीटर है, लेकिन हर दिन डेढ़ से दो घंटे लग जाते हैं। देर से पहुंचने के कारण कार्यालय में भी फटकार लगती है। कहने को तो सभी भीड़ भाड़ वाली जगहों पर ट्रैफिक पुलिस को तैनात किया गया है, लेकिन इसका भी कोई प्रभाव नहीं दिखता।
प्रमंडलीय आयुक्त डा. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर नियमित रूप से अतिक्रमण उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन जहां से अतिक्रमण हटता है दूसरे दिन फिर से पुरानी स्थिति हो जाती है।
जहां-तहां वाहन पार्किंग और अतिक्रमण बड़ा कारण
रिटायर्ड सिविल इंजीनियर रामदरश गुप्ता का कहना है कि पटना में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उस अनुपात में सड़कें चौड़ी नहीं हैं। सार्वजनिक परिवहन की कमी के कारण लोग निजी वाहनों के इस्तेमाल को मजबूर हैं।
दूसरी ओर अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है। फुटपाथ तक खाली नहीं हैं। लोगों में नागरिक बोध (सिविक सेंस) की भी कमी है। लेन तोड़ना, जहां-तहां गाड़ी खड़ी कर सब्जी और फल खरीदना, बेतरतीब परिचालन तो आम बात है।
अव्यवस्थित यातायात का असर लोगों की दिनचर्या पर पड़ रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चे घंटों वाहन में फंसे रहते हैं। इससे वे तनाव, चिड़चिड़ापन जैसी समस्या की जद में आ रहे हैं।
कार्यालय कर्मी समय से ऑफिस नहीं पहुंच पाते। एंबुलेंस में मरीजों की जान सांसत में फंसी रहती है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण बढ़ता है और पेट्रोल-डीजल की बर्बादी भी होती है।

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