पटना के करोड़ों के स्मार्ट बस स्टॉप बदहाल; दुकान-कचरा और कपड़े सुखाने की बनी जगह
पटना में करोड़ों की लागत से बने स्मार्ट बस स्टॉप बदहाल हो गए हैं। यात्रियों के लिए बने ये स्टॉप अब दुकानें, कचरा स्थल और कपड़े सुखाने के स्थान बन गए हैं। बैठने की उचित व्यवस्था और रोशनी की कमी के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।

करोड़ों खर्च कर बने स्मार्ट बस पड़ाव, नहीं रूकती बसें। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए स्मार्ट बस पड़ाव बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं। जिन आधुनिक सुविधाओं से यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद थी, वे आज अवैध कब्जे, गंदगी और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण बेकार साबित हो रही हैं।
शहर में कहीं भी बस पड़ाव पर बसें नहीं रूकतीं है। बसें नहीं रूकने से इन बस पड़ाव पर अवैध कब्जा हो गया है। कहीं दुकान खुल गया है तो कहीं ये पड़ाव कपड़ा सुखाने के काम आ रहा है।
पटना स्टार्म सिटी मिशन ने भी शहर में परिवहन व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से दस स्मार्ट बस पड़ाव का निर्माण कराया था। इन बस पड़ाव की सूची भी परिवहन विभाग को भेजते हुए यहां बसों के स्टापेज देने का अनुरोध किया था। लेकिन आजतक इस पर निर्णय नहीं हो सका।
चिड़ियाघर बस स्टाप की स्थिति सबसे खराब है, जहां रूट डिस्प्ले टूटा हुआ पड़ा है और शेड जगह-जगह से उखड़ा दिखता है। डाकबंगला चौराहा बस स्टाप पर गंदगी और कचरे का अंबार लगा है, जबकि ठीक सामने अवैध दुकानें सज गई हैं, जिससे यात्रियों के बैठने की जगह तक नहीं बची है। इनकम टैक्स गोलंबर के दोनों ओर दुकानदारों ने बस स्टाप को पूरी तरह कब्जा कर लिया है। इतना ही नहीं, यहां बस रूट नंबर तक नहीं लिखा मिलता।
होटल चाणक्य के सामने वाला बस स्टाप स्मार्ट सुविधा की जगह मिट्टी के बर्तन और झाड़ू की दुकान में बदल चुका है। वीरचंद पटेल पथ पर बने स्टाप पर लोग निर्बाध रूप से कपड़े सुखाते देखे जाते हैं। राजवंशी नगर और आर-ब्लाक बस स्टाप पर कांच टूटे पड़े हैं और सीटें इतनी गंदी हैं कि बैठना मुश्किल हो जाता है।
गांधी मैदान, अशोक राजपथ, कुर्जी, अटल पथ, जीपीओ गोलंबर, तारा मंडल, हाईकोर्ट और बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल सहित कई इलाकों में भी स्थिति लगभग यही है। कई बस पड़ावों पर डिस्प्ले बोर्ड बंद पड़े हैं, लाइटें काम नहीं करतीं और शेड टूट चुके हैं। यात्रियों का कहना है कि बसें भी अक्सर इन स्टाप पर नहीं रुकतीं, जिससे यह अधोसंरचना केवल दिखावा बनकर रह गई है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि संबंधित विभाग द्वारा नियमित साफ-सफाई और निगरानी न होने के कारण बस स्टाप असामाजिक तत्वों और अवैध व्यापारियों का अड्डा बनते जा रहे हैं।
घंटों इंतजार, फिर भी बस नहीं रुकती
कंकड़बाग निवासी संजय कुमार कहते हैं, बस स्टाप पर खड़े रहो तो बस नहीं रुकती। थोड़ा आगे या पीछे चले जाओ तो ड्राइवर वहीं रोक देते हैं। घंटों धूप में खड़े रहने के बाद मजबूरन आटो लेना पड़ता है।
एजी कालोनी के अजय कुमार सिंह ने बताया कि यात्री मौजूद होने के बावजूद बसें स्टाप पर नहीं रुकतीं। आसपास दुकानदारों ने इतना अतिक्रमण कर रखा है कि बस स्टाप तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है।
सुनील कुमार ने तंज कसा अगर बसें स्टाप पर रुकने लगें तो यात्री भी स्टाप पर खड़े होने लगेंगे। अभी तो ड्राइवर और यात्री दोनों को जहां सुविधा होती है, वहीं रुकते हैं।
कंकड़बाग के राजीव रंजन कहते हैं कि लोगों को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना होगा। हम ही कहीं भी बस रुकवा कर चढ़ जाते हैं, तो ड्राइवर को भी स्टाप पर रुकने की आदत कैसे पड़ेगी।

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