Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कभी बिहार के भी होते थे प्रधानमंत्री, चौंक गए तो जान लीजिए- कौन थे पहले पीएम, कब ली थी शपथ

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Thu, 01 Apr 2021 10:50 PM (IST)

    आजादी से पहले भी भारत में प्रधानमंत्री हुआ करते थे वो भी एक नहीं बल्कि एक साथ 11-11। अंग्रेजी राज में ही बिहार के रहने वाले मोहम्‍मद युनूस प्रधानमंत्री बने। वे पटना के पास के एक गांव के रहने वाले थे।

    Hero Image
    बिहार के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस। फोटो साभार

    पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्क भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे, यह तो बच्चा-बच्चा जानता है; लेकिन कम ही लोगों को पता है कि नेहरू जी से पहले भी भारत में प्रधानमंत्री हुआ करते थे। वह भी एक नहीं बल्‍क‍ि 11। आधुन‍िक भारत में चुनाव की परंपरा सन 1937 से शुरू हुई। तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत थी। अंग्रेज सरकार ने ही भारत में प्रांतीय स्‍तर पर चुनाव कराने शुरू किए। यह चुनाव गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के तहत कराए जाते थे। तब प्रांतीय सरकार के मुखिया को प्रधानमंत्री कहा जाता था। ब्रिटिश राज में भारत में कुल 11 प्रांत हुआ करते थे, जिनमें बिहार भी एक था। इसी चुनाव के आधार पर पटना के रहने वाले मोहम्मद यूनुस बिहार के पहले प्रधानमंत्री बने। कहा यह भी जाता है कि 1937 में हुए चुनाव के बाद भारत के किसी भी प्रांत में सबसे पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले मोहम्मद यूनुस ही थे। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रांतीय सरकारों के मुखिया को कहा जाता था प्रधानमंत्री

    देश की आजादी के बाद भी भारत में प्रांतीय सरकारों के मुखिया को प्रधानमंत्री ही कहा जाता रहा। यह सिलसिला तब तक चला, जब तक देश का नया संविधान नहीं बन गया और 1950 में चुनाव संपन्न नहीं हुए। सन 1947 के बाद भी सरकारी पत्राचार में प्रांतीय सरकारों के मुखिया को प्रधानमंत्री ही कह कर संबोधित किया जाता रहा। खुद भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी प्रांतीय सरकारों के मुखिया को प्रधानमंत्री का कह कर ही संबोधित करते थे। 1949 सेे 1950 के दरमियान कुछ सरकारी पत्राचार में प्रांतीय सरकार के मुखिया को प्रीमियर कह कर भी संबोधित किया गया।1937 से 1950 के बीच भारत के सभी प्रांतों में कई लोग प्रधानमंत्री बने।

    यह भी पढ़ें: बिहार में CM नीतीश का बड़ा सियासी कदम, चिराग को झटका के साथ एक और बड़े नेता की होगी घर वापसी

    श्रीकृष्ण सिंह भी रहे बिहार के प्रधानमंत्री

    1 अप्रैल 1937 को मोहम्मद यूनुस ने बिहार के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने इस पद पर 19 जुलाई 1937 तक काम किया। उन्हें कुल 109 दिन तक इस पद पर काम करने का मौका मिला। उनके ठीक बाद कांग्रेस के श्रीकृष्ण सिंह ने भी इस पद की जिम्मेदारी संभाली। 20 जुलाई 1937 को वे बिहार के प्रधानमंत्री बने। वे 31 अक्टूबर 1939 तक इस पद पर रहे। इस पद पर उनका पहला कार्यकाल 2 साल और 104 दिनों का रहा। आजादी से ठीक पहले 23 मार्च 1946 को भी श्रीकृष्ण सिंह ने इस पद की शपथ ली। स्वतंत्र भारत में भारत का अपना संविधान बना और 1950 में पहली बार चुनाव हुए तो प्रांतों में बनने वाली सरकार के मुखिया को मुख्यमंत्री का पदनाम दिया गया। 1950 के चुनाव में भी कांग्रेस को जीत हासिल हुई और बाबू श्री कृष्ण सिंह आजाद भारत में बिहार के मुख्यमंत्री बने। 

    यह भी पढ़ें: गजब : पटना के हीरो हीरालाल के पास हसीनाओं की जबरदस्‍त रेंज, मामला जान कर हैरान हो जाएंगे आप

    मोहम्मद युनूस को ऐसे मिला मौका

    दरअसल सन 1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने भारत के लिए एक कानून बनाया, जिसे गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट नाम दिया गया। इसी कानून के तहत भारत के सभी प्रांतों में चुनाव कराए गए। इन चुनाव के आधार पर गठित प्रांतीय सरकार के मुखिया को तब प्रधानमंत्री कहा जाता था। यह पद आज के मुख्यमंत्री के समान ही है। ब्रिटिश राज के दौरान सन 1937 में भारत के सभी प्रांतों में संपन्न चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहे थे। कांग्रेस ने बिहार सहित देश के सभी प्रांतों में भारी बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन प्रांतीय सरकार के कामकाज में गवर्नर की भूमिका को लेकर कांग्रेस राजी नहीं थी। इस वजह से कांग्रेस ने चुनाव जीतने के बावजूद सरकार बनाने से इंकार कर दिया। इसके बाद बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस को सरकार बनाने का मौका मिला।

    मसौढ़ी के पास एक गांव में हुआ था जन्म

    मोहम्मद यूनुस पटना के ही रहने वाले थे। उनका जन्म 4 मई 1884 को पटना के नजदीक मौजूदा मसौढ़ी प्रखंड के पनहरा नाम के एक गांव में हुआ। उनके पिता मौलवी अली हसन मुख्तार तब के जाने-माने वकील थे। उन्होंने अपने बेटे मोहम्मद यूनुस को भी वकील ही बनाया। यूनुस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के साथ की, लेकिन बाद के दिनों में उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया। 1937 के प्रांतीय चुनाव से ठीक पहले यूनुस ने अपनी पार्टी बनाई थी। 13 मई 1952 को लंदन में उनका निधन हो गया।

    यह भी पढ़ें- पाकिस्‍तान में जन्‍में समाजसेवी सुंदरानी जी का निधन, जमनालाल बजाज पुरस्‍कार से थे सम्‍मानित