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    Bihar News: एंबुलेंस कर्मियों ने बिहार में मरीजों की बढ़ाई परेशानी, सरकार से रख दी ये मांग

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 01:07 PM (IST)

    पटना में डायल 102 एंबुलेंस चालक हड़ताल पर चले गए हैं। एंबुलेंस चालकों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हुई है। एंबुलेंस चालक अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर सामूहिक हड़ताल पर बैठे हैं। सिविल सर्जन देर शाम तक हड़ताल खत्म कराने को लेकर हड़तालियों के साथ बैठक की लेकिन कोई बात नहीं बनी। एंबुलेंस सेवा बंद होने से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।

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    पटना में हड़ताल पर गए डायल 102 एंबुलेंस चालक। (सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, पटना। चिकित्सकीय आपात की पहली जरूरत एंबुलेंस होती है। डायल 102 सरकारी एंबुलेंस सेवा जिम्मेदारी नई एजेंसी को मिलने के बाद से बिगड़ा माहौल अब सामूहिक हड़ताल तक पहुंच गया है।

    मंगलवार को हाईकोर्ट, मुख्यमंत्री आवास, राज्यपाल आवास समेत किसी भी जगह पर एंबुलेंस तैनात नहीं थी। इसके बाद सिविल सर्जन कार्यालय सक्रिय हुआ और हड़तालियों संग बैठक की, लेकिन बात नहीं बनी।

    बिहार राज्य एंबुलेंस महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद मुस्लिम, महासचिव देवरंजन, संयोजक सैयद मोवसीर हुसैन ने कहा कि जब तक उनकी छह सूत्री मांगें पूरी नहीं होंगी, वे हड़ताल पर रहेंगे।

    वहीं, एंबुलेंस संचालित करने वाली एजेंसी के आरएम अमित कुमार ने कहा कि कुछ चालक ही हड़ताल पर हैं, शेष काम कर रहे हैं।

    सीएम आवास, राजभवन आदि जगहों पर एंबुलेंस तैनात थीं। बताते चलें कि छठ महापर्व के दौरान भी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण 106 में से 35 सरकारी एंबुलेंस ही मिली थीं। शेष को किराये पर लिया गया था।

    एयरटेल सिम से 102 नंबर डायल नहीं होने की समस्या पहले से ही बनी हुई है। एंबुलेंस महासंघ के प्रदेश महासचिव देवरंजन ने बताया कि नई एजेंसी को डायल 102 को संचालित करते दो माह से अधिक हो गए हैं, लेकिन अबतक कर्मचारियों का अनेक बिंदुओं पर संशय बना हुआ है।

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    एजेंसी इनका समाधान करने के बजाय मनचाहे ढंग से अनुचित नियमों को जबरन लागू कर रही है। अनुचित तरीके से स्थानांतरण व बिना कारण कार्य से हटा दिया जा रहा है। इन्हीं कारणों की वजह से सामूहिक हड़ताल का निर्णय लिया गया।

    इसकी सूचना राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक व संचालक एजेंसी जेन प्लस प्राइवेट लिमिटेड को पत्र लिख 10 जनवरी को ही दे दी है।

    इसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, उप श्रमायुक्त पटना डिविजन, श्रमायुक्त बिहार, जिलाधिकारी पटना, जिला स्वास्थ्य समिति, सिविल सर्जन, एसएसपी के साथ सभी अस्पतालों के अधीक्षक व चिकित्सा प्रभारियों को भी दी गई है।

    सड़क दुर्घटना के मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित

    सरकारी एंबुलेंस सेवा प्रसूता, नवजात शिशु, बुजुर्गों, सड़क दुर्घटना के मरीजों के लिए तत्काल निशुल्क उपलब्ध हो जाती है। सड़क दुर्घटना के गंभीर रोगियों की जान बचाने को आसपास के दुकानदार व राहगीर भी डायल 102 को इसकी सूचना देकर अस्पताल पहुंचवा देते हैं।

    इसी प्रकार देर रात किसी की तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचाने में हो रही मुसीबत मरीज के स्वजन ही समझ सकते हैं। 

    जिले में पहले से कम है 50 एंबुलेंस

    सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मचारियों के अनुसार, जिले में एडवांस, बेसिक व शव वाहन समेत करीब 126 एंबुलेंस सेवा दे रही थी। नई एजेंसी के कार्य संभालने के बाद जिले में 14 शव वाहन के साथ केवल 76 वाहन शेष हैं।

    पुरानी एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे 50 वाहन अब सेवा से बाहर हो गए हैं, जबकि नई एजेंसी की एंबुलेंस अभी नहीं आई है। ऐसे में पूरे प्रदेश में 400 एंबुलेंस की कमी हो गई है।

    एंबुलेंस महासंघ के पदाधिकारियों से वार्ता कर हड़ताल खत्म करने को कहा गया है। उनकी जायज मांगें पूरी कराने का आश्वासन दिया गया है। यह इमरजेंसी सेवा है, वे एकसाथ इसे ठप नहीं कर सकते। - डॉ. अविनाश कुमार सिंह, सिविल सर्जन पटना

    ये हैं छह सूत्री मांगें 

    • वेतन भुगतान, श्रम अधिनियम के तहत अति कुशल श्रमिक के रूप में किया जाए क्योंकि वे 2012 से यही काम कर रहे हैं।
    • 60 वर्ष की उम्र तक सभी कर्मचारियों का समायोजन किया जाएगा।
    • जब तक जिले में निर्धारित एंबुलेंस की कमी दूर नहीं होती, तब तक घर बैठे कर्मियों से रिलीवर के रूप में कार्य लिया जाए जिससे उनका परिवार चल सके।
    • सभी एंबुलेंस चालकों व टेक्निशियन को नियुक्ति पत्र, आइडी कार्ड अविलंब दिया जाए।
    • वेतन भुगतान की समयावधि निश्चित की जाए व सैलरी स्लिप दी जाए।
    • एमवीआई के द्वारा सभी एंबुलेंस के एवरेज मानक सुनिश्चित कराए जाएं।

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