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    Bihar Pollution: विकास तो नहीं, लेकिन प्रदूषण में दिल्ली को मात देने की तैयारी में बिहार; टॉप 10 की लिस्ट में पांच सिटी शामिल

    By Rajesh KumarEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sat, 12 Jul 2025 09:22 AM (IST)

    सेंटर फॉर एनर्जी एंड क्लीन एयर रिसर्च (सीआरईए) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है जबकि असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट सबसे प्रदूषित है। टॉप 10 शहरों में हाजीपुर गाजियाबाद गुरुग्राम सासाराम पटना तालचेर राउरकेला और राजगीर शामिल हैं। रिपोर्ट में 293 शहरों में वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया जिनमें से कई भारतीय वायु गुणवत्ता मानकों को पार कर गए।

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    देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में बिहार के पांच शहर शामिल। फाइल फोटो

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली अब भी देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है, जबकि असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर है। सेंटर फॉर एनर्जी एंड क्लीन एयर रिसर्च (सीआरईए) द्वारा जारी रिपोर्ट का यह निष्कर्ष है।

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    बता दें कि बर्नीहाट और दिल्ली के अलावा देश के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में हाजीपुर, गाजियाबाद, गुरुग्राम, सासाराम, पटना, तालचेर, राउरकेला और राजगीर शामिल हैं।

    इनमें से चार शहर बिहार के, दो ओडिशा के और बाकी दिल्ली, असम, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं। सीआरईए ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट जारी की, जो वर्ष 2025 की पहली छमाही के दौरान देश भर में वायु गुणवत्ता के विश्लेषण पर आधारित है।

    रिपोर्ट के अनुसार, कुल 293 निगरानी वाले शहरों में से 239 शहरों में 80 फीसदी से अधिक दिनों के लिए पीएम 2.5 डेटा उपलब्ध था। इन 239 में से 122 शहर भारत के वार्षिक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर गए जबकि 117 शहर इस सीमा से नीचे रहे।

    हालांकि, सभी 239 शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सख्त वार्षिक मानक पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर गए। यानी वायु गुणवत्ता के भारतीय मानकों के अनुसार, इस साल की पहली छमाही में 122 शहर प्रदूषित रहे।

    रिपोर्ट के अनुसार, बर्नीहाट में औसत पीएम 2.5 का स्तर 133 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। वहां, साल की पहली छमाही के अधिकांश दिनों में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में रही।

    दिल्ली में सिर्फ़ वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से काम नहीं चलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, अपनी जीवन अवधि पूरी कर चुके वाहनों पर प्रतिबंध लगाना किसी शहर में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन दिल्ली की तरह, सिर्फ़ इसी एक कदम से प्रदूषण नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

    पोर्टल फ़ॉर रेगुलेशन ऑफ़ एयर-पॉल्यूशन इन नॉन-अटेनमेंट सिटीज़ (PRAN) और IIT दिल्ली के स्रोत विभाजन अध्ययन पर ध्यान देना ज़रूरी है।

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