Digital Arrest: डॉक्टर दंपती को डिजिटल अरेस्ट कर 4 राज्यों में भेजी गई थी ठगी की रकम, निशाने पर था घर
पटना में साइबर ठगों ने एक सेवानिवृत्त डॉक्टर दंपती को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 1.95 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगों ने घर के नाम पर लोन लेने का भी प्रयास किया। पुलिस ने 53 लाख रुपये होल्ड कराए हैं और खातों की जांच कर रही है। ठगों ने पीड़ितों को सीबीआई और जज बनकर डराया था जिसके कारण उन्होंने स्वयं बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर किए थे।

जागरण संवाददाता, पटना। पीएमसीएच से सेवानिवृत्त डॉक्टर दंपती से 21 मई से चार जून तक डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के निशाने पर उनका घर भी था। उन्होंने 1.95 करोड़ रुपये अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए थे।
घर से लेकर बैंक में जमा पैसों को आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर कराते रहे। पैसा नहीं होने पर जेवर तक गिरवी रखवा दिया। ठग उनके घर के नाम पर लोन कराकर रकम वसूलने के प्रयास में थे, लेकिन तब तक मामला साइबर थाने में पहुंच गया और पुलिस जांच में जुट गई।
आईसीआईसीआई के तीन, यस बैंक के एक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के एक खाते में रुपये भेजे गए थे। पुलिस संबंधित बैंक से खाताधारक का नाम, पता और अन्य ब्योरा जुटा चुकी है।
इसमें तीन बैंक खाते उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, तमिलनाडु और दिल्ली के हैं, जबकि एक अन्य दूसरे राज्य का है। सभी चालू खाता है, जो किसी कंपनी या दुकान के नाम से था। पुलिस ने इसमें तीन बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए 53 लाख रुपये होल्ड करा दिया है।
कई और लोगों से ठगी में इस्तेमाल हुआ है खाता नंबर
साइबर ठगों ने पीड़ित दंपती से 21 मई से चार जून के बीच 1.95 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराए, जिसमें से पुलिस ने ठगों के खाते में 53 लाख रुपये होल्ड करा दिया। जिस खाते की रकम को होल्ड कराया गया है, उसी खाते में ठगों ने सात-आठ अन्य लोगों से भी रुपये ट्रांसफर कराए थे।
खाते की पूरी जानकारी के बाद ही पता चलेगा कि इसमें डॉक्टर दंपती का पैसा कितना है। खातों का इस्तेमाल पांच से छह अन्य लोगों से हुई ठगी की रकम मंगाने में भी हुआ है।
पुलिस के लिए आसान नहीं है मास्टरमाइंड तक पहुंचना
इसके पूर्व भी डॉक्टर, महिला प्रोफेसर, अध्यापक को डिजिटल अरेस्ट कर रकम ट्रांसफर करायी गई थी। इसमें पुलिस ने उन खातों का ब्योरा लिया। तीन खाताधारकों के खिलाफ वारंट भी ले चुकी है, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
दरअसल, ठग जिन चालू खाते में रकम मंगाते हैं, वह किसी कंपनी या दुकान के नाम पर होता है। सत्यापन के समय दुकान भी दिखाते हैं, लेकिन ठगी के बाद खाते से रकम निकासी कर सभी फरार हो जाते हैं। न तो दुकान मिलती है और न ही खाताधारक।
ठगों के चालू खाते में जैसे ही मोटी रकम आती है, उसे ऑनलाइन या यूपीआई के जरिए कई बैंक खातों में दस हजार से 50 हजार की रकम भेजकर उसकी निकासी भी करा लेते हैं।
स्वयं बैंक जाकर आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किए थे रुपये
कंकड़बाग निवासी डॉक्टर दंपती को डिजिटल अरेस्ट कर ठग स्वयं को कभी सीबीआई, कभी अधिवक्ता तो कभी जज बनकर डराते-धमकाते रहे। दंपती इस कदर डर गए थे, कि स्वयं बैंक जाकर छह बार में आरटीजीएस के माध्यम से रुपये ट्रांसफर किए थे। दंपती यहां अकेले रहते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।