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    Bihar News: 3 साल में 40 लाख लोगों की जान बचाई, बिहार की डायल-112 सेवा बनी 'संकट मोचक'

    By Jagran News Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 08 Jul 2025 02:45 PM (IST)

    बिहार में एकीकृत आपातकालीन सेवा डायल-112 ने सफलतापूर्वक तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस दौरान इसने 40 लाख से अधिक लोगों को त्वरित मदद पहुंचाई है। पुलिस विभाग औसतन 15 मिनट में सहायता प्रदान करता है और प्रतिदिन लगभग 65 हजार कॉल रिसीव करता है। कॉल रिस्पांस के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है।

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    बिहार में एकीकृत आपातकालीन सेवा डायल-112 ने सफलतापूर्वक तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में एकीकृत आपातकालीन सेवा डायल-112 (ईआरएसएस) ने अपने सफल शुभारंभ के तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। इन तीन वर्षों में इस सेवा ने राज्य भर में 40 लाख से अधिक लोगों को त्वरित मदद पहुंचाकर आपातकालीन सेवाओं का नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

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    इस अवसर पर डीजीपी विनय कुमार ने पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया। विनय कुमार ने कहा कि पुलिस विभाग औसतन 15 मिनट में मदद पहुंचाता है। वहीं, प्रतिदिन 65 हजार कॉल रिसीव करता है।

    कॉल रिस्पांस में बिहार दूसरे नंबर पर

    बिहार में डायल 112 के शुभारंभ के बाद से बिहार ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। संकट के समय मांगी गई मदद के आधार पर रिस्पांस किए गए कॉल के आंकड़ों के मामले में बिहार कॉल रिस्पांस के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। डायल-112 को एकल हेल्पलाइन के रूप में विकसित किया गया है, जो पुलिस, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, हाईवे पेट्रोलिंग और आपदा सेवाओं को एकीकृत करता है।

    सेवा की मुख्य उपलब्धियां

    • 40 लाख से अधिक नागरिकों को त्वरित आपातकालीन सहायता
    • 1833 आपातकालीन वाहन (1283 चार पहिया, 550 दो पहिया)
    • प्रतिदिन औसतन 6,000 नागरिकों की मदद
    • औसत प्रतिक्रिया समय 15 मिनट
    • हाईवे पेट्रोलिंग में 119 वाहन शामिल

    किसको मिली मदद

    श्रेणी मामलों की संख्या
    घरेलू हिंसा, महिला-बाल अपराध 3.57 लाख+
    स्थानीय विवाद और हिंसा 21.79 लाख+
    सड़क दुर्घटनाएं 1.84 लाख+
    अग्नि 1.15 लाख+

    महिलाओं के लिए 'सुरक्षित यात्रा सुविधा'

    डीजीपी ने बताया कि 'सुरक्षित यात्रा सुविधा' की शुरुआत सितंबर 2024 में की गई थी। इस योजना के तहत अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए यह सुरक्षा दीवार साबित हुई है। महिलाएं अपनी यात्रा की जानकारी पुलिस के साथ साझा कर तकनीकी निगरानी में सुरक्षित गंतव्य तक पहुंच रही हैं। जरूरत पड़ने पर तुरंत ईआरवी भेजी जाती है। महिलाओं को इस तरह की सुरक्षा कवच प्रदान करने वाला बिहार देश का तीसरा राज्य है।

    महिला पुलिस के नेतृत्व में संचालन

    गौरतलब है कि पटना के कॉल टेकर सेंटर का संचालन भी महिला पुलिस कर्मियों द्वारा किया जा रहा है। जो महिलाओं के लिए सेवा को संवेदनशील और प्रभावी बना रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक कारगर पहल साबित हो रही है। जिसका लाभ पूरे बिहार की महिलाओं को मिल रहा है।

    डायल 112 बना 'संकट मोचन'

    बिहार पुलिस की डायल-112 सेवा अब हर संकट का समाधान बन गई है। इस सेवा ने साबित कर दिया है कि तकनीक, त्वरित प्रतिक्रिया और मानवीय संवेदनाओं को मिलाकर सुरक्षा का एक मजबूत आपातकालीन ढांचा तैयार किया जा सकता है। यानी अब बिहार के नागरिकों को संकट के समय अलग-अलग नंबरों की नहीं, बल्कि सिर्फ एक नंबर- 112 की जरूरत है।