पटना मेट्रो के ट्रायल रन ने बढ़ाया उत्साह, अब हरी झंडी का इंतजार; जल्द शुरू होगा 6.5 KM का कॉरिडोर
पटना वासियों के लिए खुशखबरी! बैरिया मेट्रो डिपो में मेट्रो का पहला ट्रायल रन सफल रहा। 200 मीटर के ट्रैक पर मेट्रो ने सभी सुरक्षा जांच पास की। मंत्री जिवेश मिश्रा ने सुविधाओं का निरीक्षण किया और सितंबर तक प्रायोरिटी कॉरिडोर शुरू करने की योजना है। यह कॉरिडोर मलाही पकड़ी से न्यू आईएसबीटी तक होगा जिससे यातायात सुगम होगा और पटना मेट्रो सिटी बनेगा।

जागरण संवाददाता, पटना। पटना के लोगों का मेट्रो का चार-पांच वर्षों का इंतजार अब खत्म होने को है। बुधवार को बैरिया मेट्रो डिपो में पटना मेट्रो के पहले ट्रायल रन ने शहरवासियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी। 200 मीटर के ट्रैक पर मेट्रो ने आगे-पीछे की सैर कर सिग्नल, ट्रैक, ट्रेन और सुरक्षा प्रणालियों की जांच को बखूबी पास किया। यह दृश्य पटना के आधुनिक भविष्य की एक रोमांचक झलक था।
पटना मेट्रो शहर के यातायात व्यवस्था की सूरत बदल देगी। यह यातायात को आसान बनाने के साथ-साथ पर्यावरण-अनुकूल और आरामदायक यात्रा का नया अनुभव देगी। पहले दिन ट्रायल रन की सफलता ने पटना में उत्साह की लहर पैदा कर दी है। पटना अब मेट्रो सिटी बनने को तैयार है।
इससे पहले, नगर विकास एवं आवास मंत्री जिवेश मिश्रा ने बैरिया डिपो और जीरो माइल स्टेशन का दौरा किया। उन्होंने मेट्रो की बोगियों में बैठकर सीटों की सुविधा, साइनेज, सीसीटीवी और सुरक्षा व्यवस्थाओं का बारीकी से जायजा लिया।
खासकर, दिव्यांग यात्रियों के लिए सुगम पहुंच और सुविधाओं पर उनका विशेष जोर रहा। जीरो माइल स्टेशन पर उन्होंने यात्री-केंद्रित डिज़ाइन और आधुनिक ढांचे की सराहना की, साथ ही यात्रियों की सहूलियत के लिए स्पष्ट साइनेज और निर्देश लगाने का निर्देश दिया।
पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (पीएमआरसीएल) के प्रबंध निदेशक और नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने मंत्री को परियोजना की प्रगति और परिचालन की तैयारियों से अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि सितंबर के अंत तक प्रायोरिटी कॉरिडोर पर मेट्रो शुरू करने की योजना है। पटरियों का तकनीकी काम, इलेक्ट्रिफिकेशन और फैब्रिकेशन लगभग पूरा हो चुका है। डिपो से जीरो माइल तक ट्रायल सफल होने के बाद, मेट्रो को जल्द हरी झंडी मिलेगी।
प्रायोरिटी कॉरिडोर: 6.5 किमी का आधुनिक सफर
मलाही पकड़ी से न्यू आईएसबीटी (पाटलिपुत्र बस टर्मिनल) तक 6.5 किलोमीटर का यह एलिवेटेड कॉरिडोर पांच स्टेशनों मलाही पकड़ी, खेमनीचक, भूतनाथ रोड, जीरो माइल और न्यू आएसबीटी को जोड़ेगा। यह कॉरिडोर न केवल यात्रा को तेज और सुगम बनाएगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होगा।
ट्रायल रन के दौरान इसकी होती है जांच
मेट्रो ट्रेन की जांच
- बोगी वील और ब्रेकिंग सिस्टम– ब्रेक का सही काम करना, ब्रेकिंग दूरी की जांच।
- ड्राइविंग कंसोल – सभी नियंत्रण, डिस्प्ले, कम्युनिकेशन सिस्टम।
- डोर सिस्टम – दरवाज़े सही से खुल-बंद हो रहे हैं या नहीं।
- पैंटोग्राफ और ओवरहेड इलेक्ट्रिक सप्लाई कनेक्शन।
- पब्लिक एड्रेस सिस्टम – घोषणाओं की आवाज़, इमरजेंसी कम्युनिकेशन।
ट्रैक और डिपो की इंफ्रास्ट्रक्चर जांच
- ट्रैक अलाइनमेंट – पटरियों का लेवल और गेज सही है या नहीं।
- प्वाइंट्स और क्रॉसिंग – सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
- डिपो में वाशिंग प्लांट और मेंटेनेंस यार्ड की टेस्टिंग।
- ट्रैक सिग्नल और इंटरलॉकिंग सिस्टम।
इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच
- ओवरहेड वायर में करंट सप्लाई और उसकी स्थिरता।
- थर्ड रेल या अन्य पावर सप्लाई सिस्टम (अगर लागू हो)।
- एससीएडीए सिस्टम – कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग।
सेफ्टी और कंट्रोल सिस्टम
- ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) सिस्टम।
- इमरजेंसी ब्रेक और अलार्म सिस्टम।
- फायर अलार्म व सुरक्षा उपकरण।
स्पीड और मूवमेंट टेस्ट
- ट्रेन को पहले धीमी गति पर चलाया जाता है (5-10 किमी/घंटा)।
- ब्रेकिंग दूरी, त्वरण और मोड़ पर बैलेंस देखा जाता है।
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