Updated: Sun, 07 Sep 2025 08:47 PM (IST)
पटना मेट्रो ने डिपो से भूतनाथ रोड स्टेशन तक पहला फिटनेस टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया। परीक्षण से पहले पूजा की गई। मेट्रो के तीन मुख्य हिस्सों की जांच हुई कार्यक्षमता ओएचई सिस्टम और ट्रैक। यह परियोजना बिहार के लिए गर्व की बात है और यातायात कम करने में मदद करेगी। अगले चरण में सिस्टम इंटीग्रेशन और डायनामिक ट्रायल होंगे जिसके बाद मेट्रो शुरू करने की दिशा में काम किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी पटना के लिए बड़ी खुशखबरी है। रविवार को पहली बार डिपो से निकलकर पटना मेट्रो अपनी रफ्तार में न्यू आईएसबीटी, जीरो माइल होते हुए भूतनाथ रोड स्टेशन पहुंची।
पटना मेट्रो ने रविवार को अपने पहले फिटनेस टेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह टेस्ट पटना डिपो से भूतनाथ मेट्रो स्टेशन तक किया गया। यह कदम पटना मेट्रो को शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो शहरवासियों को आधुनिक और सुविधाजनक परिवहन देने का काम करेगी।
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ट्रायल के पूर्व पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (पीएमआरसीएल) के अधिकारियों ने विधिवत पूजा-अर्चना की। नारियल फोड़ा इसके बाद डिपो से हॉर्न बजाते मेट्रो पटना शहर की ओर निकली। इस टेस्ट में मेट्रो के तीन मुख्य हिस्सों की जांच की गई।
पहला, मेट्रो ट्रेन की कार्यक्षमता और सुरक्षा, जिसे रोलिंग स्टाक कहते हैं। दूसरा, मेट्रो को बिजली देने वाली ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन (ओएचई) सिस्टम की जांच और तीसरा, ट्रैकों की मजबूती और संरेखण, ताकि यात्रा सुरक्षित और सुगम हो। इन सभी का सफल परीक्षण इस बात का सबूत है कि पटना मेट्रो सही दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
मेट्रो से निजी वाहनों का इस्तेमाल घटेगा
पटना मेट्रो परियोजना बिहार के लिए गर्व की बात है। यह शहर की भीड़-भाड़ और ट्रैफिक की समस्या को कम करने में मदद करेगी। साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगी, क्योंकि मेट्रो से निजी वाहनों का इस्तेमाल घटेगा।
इस टेस्ट के बाद अब अगला कदम सिस्टम इंटीग्रेशन टेस्ट और डायनामिक ट्रायल्स होंगे, जिसमें मेट्रो के सभी हिस्सों को एक साथ जोड़कर उनकी कार्यक्षमता जांची जाएगी। इसके बाद मेट्रो आम लोगों के लिए शुरू करने की दिशा में काम किया जाएगा।
आगे होगा सिस्टम टेस्ट व डायनामिक ट्रायल्स
पटना मेट्रो के पहले चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद अब सिस्टम टेस्ट और डायनामिक ट्रायल होगा। सिस्टम टेस्ट मेट्रो के सभी हिस्सों को एक साथ जोड़कर उनकी कार्यक्षमता की जांच करने की प्रक्रिया है। इसमें मेट्रो ट्रेन, ट्रैक, बिजली की व्यवस्था (ओएचई), सिग्नलिंग सिस्टम, स्टेशन की सुविधाएं और अन्य तकनीकी सिस्टम शामिल होते हैं।
इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मेट्रो का हर हिस्सा एक-दूसरे के साथ सही और सुरक्षित तरीके से काम कर रहा है। उदाहरण के लिए, यह देखा जाता है कि सिग्नल सही समय पर काम कर रहे हैं, ट्रेन की गति और ब्रेकिंग सही है, और स्टेशन पर यात्रियों की सुविधाएं ठीक हैं।
यह टेस्ट मेट्रो को पूरी तरह से परिचालन के लिए तैयार करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। डायनामिक ट्रायल्स में टेस्ट की जाएगी सुरक्षा व कार्यक्षमता डायनामिक ट्रायल्स में पटना मेट्रो ट्रेन को वास्तविक परिस्थितियों में चलाकर उसकी कार्यक्षमता और सुरक्षा की जांच की जाएगी।
यह टेस्ट ट्रेन को अलग-अलग गति, स्टाप और रास्तों पर चलाकर किया जाता है, ताकि यह पक्का हो सके कि मेट्रो रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए तैयार है। इसमें ट्रेन की स्थिरता, ब्रेकिंग सिस्टम, यात्री सुरक्षा और आपातकालीन स्थिति में सिस्टम की प्रतिक्रिया की जांच होती है। यह टेस्ट यह भी सुनिश्चित करता है कि मेट्रो का सिस्टम भीड़, मौसम, या अन्य चुनौतियों में भी सही काम करेगा।
क्यों जरूरी हैं ये टेस्ट
ये दोनों टेस्ट पटना मेट्रो को आम लोगों के लिए शुरू करने से पहले उसकी सुरक्षा, विश्वसनीयता और सुचारू संचालन को सुनिश्चित करते हैं। इनके बिना मेट्रो को व्यावसायिक रूप से शुरू करना जोखिम भरा हो सकता है।
इन टेस्टों के सफल होने के बाद ही मेट्रो को यात्रियों के लिए खोला जाएगा, ताकि पटना के लोग एक सुरक्षित, तेज और आरामदायक यात्रा का अनुभव कर सकें।
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