Patna IGIMS में मरीजों के लिए लगेंगी 2 रोबोटिक्स मशीनें, इलाज में होगी आधुनिक तकनीक की मदद
पटना के आईजीआईएमएस में मरीजों के लिए आधुनिक रोबोटिक सर्जरी मशीनें स्थापित की जाएंगी। इन मशीनों से सर्जरी में सटीकता बढ़ेगी और मरीजों को कम दर्द होगा। आर्थोपेडिक्स सहित कई विभागों में इनका उपयोग किया जाएगा। वर्ष 2026 तक ये मशीनें काम करना शुरू कर देंगी जिससे बिहार के मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा और उन्हें दूसरे शहरों में जाने की जरूरत कम होगी।

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में मरीजों को बेहतर और अत्याधुनिक इलाज देने की दिशा में एक और बड़ी पहल की गई है। संस्थान में जल्द ही दो अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी मशीनें स्थापित की जाएंगी, जिससे सर्जरी की प्रक्रिया न केवल सटीक होगी बल्कि मरीजों की पीड़ा और अस्पताल में रहने का समय भी कम हो जाएगा।
आईजीआईएमएस के शासी निकाय की हालिया बैठक में इन रोबोटिक मशीनों की खरीद को अनुमोदन दे दिया गया है। संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि यदि सब कुछ सामान्य रहा तो मशीनों की खरीद प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और वर्ष 2026 की शुरुआत तक मशीनें संस्थान में कार्यरत होंगी।
बताया जाता है कि आर्थोपेडिक्स विभाग के लिए एक विशेष रोबोटिक सर्जरी मशीन खरीदी जाएगी, जिसका उपयोग हड्डी, जोड़ और रीढ़ की जटिल सर्जरी में किया जाएगा। दूसरी मशीन का इस्तेमाल अन्य विभागों जैसे कि जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, यूरोलाजी, गायनेकोलाजी आदि में किया जाएगा, जहां लेप्रोस्कोपिक सर्जरी या अन्य जटिल प्रक्रियाओं में इसकी मदद ली जाएगी।
डॉक्टरों और सर्जनों को भी होगा लाभ
आईजीआईएमएस के वरीय डॉक्टरों के अनुसार, रोबोटिक मशीनों की मदद से डॉक्टरों को थ्री डी विजन, ट्रेमर-फ्री कंट्रोल और कठिन कोणों में भी सटीकता से आपरेशन करने की सुविधा मिलेगी। यह तकनीक सर्जन की क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है।
चिकित्सा अधीक्षक सह गैस्ट्रो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से इलाज में सटीकता और सुरक्षा दोनों मिलती हैं।संस्थान को यह तकनीक मिलने से बिहार में चिकित्सा सेवाओं का एक नया अध्याय आरंभ होगा।
उन्होंने बताया कि इस नई पहल के साथ आईजीआईएमएस पूर्वी भारत के उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल हो जाएगा जहां मल्टी-स्पेशियलिटी रोबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होगी। इससे बिहार के मरीजों को दिल्ली, मुंबई या अन्य मेट्रो शहरों में इलाज के लिए जाने की आवश्यकता कम पड़ेगी।

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