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    Divorced Wife: 'तलाक के बाद भी पत्नी कर सकती है भरण-पोषण की मांग', पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Wed, 02 Jul 2025 06:51 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश पर आपत्ति जताई जिसमें बिना आय का आकलन किए भरण-पोषण तय किया गया था। रूही शर्मा मामले में कोर्ट ने कहा कि पांच साल से अधिक समय से अलग रहने के कारण वैवाहिक संबंध खत्म हो चुका है।

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    तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की मांग कर सकती है : हाई कोर्ट

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने एक अपने एक महत्वपूर्ण फैसले से यह स्पष्ट किया कि तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की मांग कर सकती है, और यह अधिकार उसके पास तब भी सुरक्षित रहता है जब तलाक की डिक्री पारित हो चुकी हो।

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    हाई कोर्ट ने अपने फैसले से यह भी स्पष्ट किया कि पारिवार न्यायालय द्वारा बिना आय और संपत्ति का आकलन किए स्थायी भरण-पोषण तय करने की प्रक्रिया कानून के विरुद्ध है।

    यह मामला पत्नी रूही शर्मा द्वारा पति विनय कुमार शर्मा के विरुद्ध दायर तलाक याचिका से संबंधित है, जिसमें फैमिली कोर्ट, भागलपुर ने विवाह विच्छेद के साथ-साथ 15 लाख रुपये की स्थायी भरण-पोषण राशि निर्धारित की थी।

    इसी निर्णय के विरुद्ध पति ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। मामले के तथ्यों के अनुसार, 29 जनवरी 2016 को दोनों पक्षों के बीच विवाह संपन्न हुआ था। आरोप है कि विवाह के बाद पत्नी के साथ शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न हुआ, दहेज की मांग की गई और अस्वाभाविक यौन आचरण में जबरन शामिल किया गया। परिणामस्वरूप, पत्नी ने 13 जून 2016 को ससुराल छोड़ दिया और कई आपराधिक मामले दर्ज कराए।

    फैमिली कोर्ट ने उक्त घटनाओं को “क्रूरता” एवं “परित्याग” की श्रेणी में मानते हुए तलाक प्रदान किया। साथ ही पति को 15 लाख रुपये की स्थायी भरण-पोषण राशि चुकाने का आदेश दिया गया।

    हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक संबंधी निष्कर्ष को उचित ठहराते हुए कहा कि पांच वर्षों की लंबी अलगावावस्था से वैवाहिक संबंध समाप्त हो चुका है और पुनः साथ रहने की संभावना नहीं है।

    हालांकि, हाई कोर्ट ने भरण-पोषण राशि निर्धारण की प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि न तो पति और न ही पत्नी ने अपनी आय व संपत्ति का विवरण प्रस्तुत किया था, जो कि रजनीश बनाम नेहा(2021) और अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार अनिवार्य है।

    न्यायाधीश पी. बी. बजनथ्री और न्यायाधीश एस. बी. पी. सिंह की खंडपीठ ने मामला भरण-पोषण की राशि पुनः निर्धारित करने हेतु पारिवारिक न्यायालय, भागलपुर को भेज दिया है। कोर्ट ने तीन माह के भीतर प्रक्रिया पूर्ण करने और दोनों पक्षों को सहयोग करने का भी निर्देश दिया ।