गाड़ी मालिक पर आरोप नहीं, फिर भी नीलामी; पटना HC ने सरकार को दिया 16 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश
पटना हाई कोर्ट ने कहा है कि बिना आरोप तय किए गाड़ी मालिक की गाड़ी जब्त कर नीलाम करना गैरकानूनी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को महाराष्ट्र के गाड़ी मालिक शरद नवनाथ गंगे को 16 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। 2022 में पुलिस ने उनकी किराए पर दी गई गाड़ी से शराब बरामद की थी और उसे नीलाम कर दिया था। कोर्ट ने इसे गलत बताया।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बिना गाड़ी मालिक पर आरोप तय किए उनकी गाड़ी को जब्त कर नीलाम करना गैरकानूनी है। अदालत ने राज्य सरकार को महाराष्ट्र निवासी गाड़ी मालिक शरद नवनाथ गंगे को 16 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
दरअसल, 26 दिसंबर 2022 को पातेपुर कांड संख्या 346/22 में पुलिस ने किराए पर दी गई गाड़ी से 477 लीटर विदेशी शराब बरामद की थी।
इसके बाद गाड़ी को जब्त कर महुआ एसडीओ के आदेश पर 29 सितंबर 2023 को मात्र 2.2 लाख रुपये में नीलाम कर दिया गया, जबकि जब्ती के समय उसका बीमा मूल्य 21 लाख रुपये था।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश पी.बी. बजनथ्री और न्यायाधीश शशि भूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने पाया कि गाड़ी मालिक को न तो जब्ती की सूचना दी गई और न ही नीलामी का सही नोटिस। यहां तक कि सूचना बिहार के अखबारों में प्रकाशित की गई, जबकि मालिक महाराष्ट्र के निवासी थे।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गृह विभाग व उत्पाद निषेध विभाग के एसीएस के निर्देश स्पष्ट थे कि जिस गाड़ी से शराब बरामद न हो, उसे जब्त नहीं किया जाए।
अदालत ने विभाग के प्रधान सचिव को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और गाड़ी की बीमा राशि 21 लाख रुपये जमा कराने का निर्देश दिया। हालांकि विभाग ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी विभाग की अर्जी खारिज कर दी।
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