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    'DM का आदेश अवैध', HC की कड़ी टिप्पणी; रोज 60 KM दूर थाने में 2 बार हाजिरी लगाने का मामला

    By Pratyush Pratap Singh Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 07:25 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने एक व्‍यक्ति को हर दिन 60 किलोमीटर दूर थाने में दो बार हाजिरी लगाने के आदेश पर सख्‍ती दिखाई है। कोर्ट ने इसे अनुचित बताते हुए पीड़‍ित ...और पढ़ें

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    पटना हाईकोर्ट ने दिया मुआवजा भुगतान का आदेश। सांकेत‍िक तस्‍वीर

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सहरसा के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा पारित प्रतिदिन 60 किमी दूर बसनही थाने में दो बार हाजिरी लगाने को गलत बताया है। 

    उन्‍होंने आदेश को नियम-विरुद्ध, मनमाना और नागरिक की स्वतंत्रता पर सीधा आघात बताया है। अदालत ने कहा कि ऐसा आदेश व्यक्ति की आजीविका, गरिमा और संवैधानिक अधिकार तीनों के खिलाफ है।

    जिलाध‍िकारी ने दिया था आदेश 

    अधिवक्ता दिवाकर प्रसाद सिंह ने अदालत को अवगत कराया कि याचिकाकर्ता राकेश कुमार यादव को डीएम ने न केवल जलई थाना क्षेत्र से बाहर करके बसनही थाना भेज दिया।

    प्रतिदिन सुबह–शाम वहां हाजिरी का आदेश भी दे दिया। इससे उसे रोज़ 60 किमी की यात्रा करनी पड़ती थी और किराना दुकान चलाना भी असंभव हो गया ।

    राज्‍य का बचाव करने वाले अधिवक्‍ता ने भी माना नहीं था उचित 

    पीठ ने पाया कि इस प्रकार का आदेश अनुच्छेद 21 का स्पष्ट उल्लंघन है। राज्य का बचाव करते हुए अधिवक्ता किंकर कुमार ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता को दिन में एक बार हाजिरी लगाने के लिए कहा जा सकता था ।

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    अदालत ने तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार को पीड़ित को एक लाख रुपये मुआवजा तथा 10 हजार रुपये मुकदमा खर्च देने का आदेश दिया।

    दोषी अधिकारी से भी वसूल की जा सकती है राश‍ि 

    यह भी स्पष्ट किया कि सरकार चाहे तो यह राशि संबंधित दोषी अधिकारियों से वसूल सकती है। साथ ही गृह विभाग को आदेश दिया गया कि इस निर्णय की प्रति राज्य के सभी जिलाधिकारियों को भेजी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की मनमानी पर अंकुश लगे।

    पीठ ने हालिया मामलों में दूरस्थ पुलिस स्टेशनों में हाजिरी के आदेश देने की प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि लोगों को 100 किमी दूर हाजिरी कराने का निर्देश नियमों की खुली अवहेलना है। संवैधानिक अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती।