Patna High Court: पटना हाई कोर्ट ने ‘जीरो’ नॉइज पॉल्यूशन रिपोर्ट पर जताई नाराजगी
पटना हाई कोर्ट ने मसौढ़ी प्रशासन की ध्वनि प्रदूषण पर 'जीरो' रिपोर्ट पर नाराजगी जताई और अधिकारियों को फटकार लगाई। कोर्ट ने पटना सिटी के एसडीओ की सराहना की और अन्य को उनसे सीखने को कहा। कोर्ट ने पटना के विवाह भवनों की एनओसी रिपोर्ट मांगी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रवैये पर नाराजगी जताई। यह कदम राजधानी में शोर-प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक होगा।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के मामले में जारी निगरानी के दौरान मसौढ़ी प्रशासन की उस रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें पूरे अनुमंडल को ध्वनि-प्रदूषण से मुक्त बताया गया था। अदालत ने इसे प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए संबंधित अधिकारियों को कड़े शब्दों में फटकार लगाई।
न्यायाधीश राजीव रॉय की एकलपीठ ने सुरेंद्र प्रसाद द्वारा दायर अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस अवसर पर कदमकुआं, पीरबहोर और मसौढ़ी थानों के थाना प्रभारी अदालत में उपस्थित थे। वरीय अधिवक्ता अजय ने कोर्ट मित्र के रूप में न्यायालय की सहायता की, जबकि राज्य की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप उपस्थित थे।
अदालत ने कहा कि मसौढ़ी अनुमंडल पदाधिकारी और थानाध्यक्ष द्वारा दायर शून्य ध्वनि -प्रदूषण मामलों की रिपोर्ट यह दर्शाता है कि या तो नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है या फिर कार्रवाई से जानबूझकर परहेज़ किया जा रहा है।
इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने अदालत को आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों द्वारा ध्वनि प्रदूषण को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके विपरीत, अदालत ने एक बार फिर पटना सिटी के एसडीओ की सराहना की, जिन्होंने शोर-प्रदूषण नियंत्रण में प्रभावी और त्वरित कार्रवाई की है।
अदालत ने उपस्थित तीनों थानाध्यक्षों को निर्देश दिया कि वे पटना सिटी एसडीओ की कार्ययोजना और उसके क्रियान्वयन के तरीकों का अध्ययन करें और अपने क्षेत्र में लागू करें। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पटना में स्थित सभी विवाह भवन और कम्युनिटी हाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बगैर अनुमति से ही चल रहे हैं।
इस कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि “आप अभी तक अपने ऐसी कमरों में सोए हुए थे, आपने स्वयं कोई कार्रवाई क्यों नहीं की”। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ऐसे रवैये से लगता है इसे ही पहले बंद कर देना चाहिए।
सुनवाई के दौरान राज्य अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने यह सुझाव दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पटना स्थित सभी विवाह भवनों और बैंक्वेट हॉलों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए। इसमें यह स्पष्ट किया जाए कि क्या इन संस्थानों ने ध्वनि-प्रदूषण संबंधी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त किया है या नहीं।
इस पर अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता को आदेश दिया कि वे पटना के सभी विवाह भवनों और बैंक्वेट हॉलों की सूची तैयार करें और उनके एनओसी की स्थिति की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करें। अदालत का यह निर्देश राजधानी में सार्वजनिक आयोजनों से होने वाले शोर-प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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