Bihar: राजस्व सेवा के अधिकारियों को DCLR बनाने का मामला, पटना HC ने नीतीश सरकार को लगाई फटकार
पटना हाई कोर्ट ने बिहार राजस्व सेवा के अधिकारियों को डीसीएलआर के पद पर नियुक्ति में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग ने नौ महीने बीत जाने के बावजूद अब तक कोई जवाब क्यों नहीं दाखिल किया। वहीं सरकारी अधिवक्ता ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत मांगी है।
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) के पद पर बिहार राजस्व सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग को कड़ी फटकार लगाई।
न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल की एकलपीठ ने विनय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।
हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर सामान्य प्रशासन विभाग ने नौ महीने बीत जाने के बावजूद अब तक कोई जवाब क्यों नहीं दाखिल किया? सरकारी अधिवक्ता ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत मांगी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
याचिकाकर्ता की अधिवक्ता ने क्या बताया?
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं अधिवक्ता रीतिका रानी ने कोर्ट को बताया कि अक्टूबर 2023 में प्रोन्नति के बाद जब बिहार राजस्व सेवा के अधिकारी भूमि सुधार उप समाहर्ता के पद पर नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे थे, तब सामान्य प्रशासन विभाग ने अचानक सभी पदों पर बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को नियुक्त कर दिया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि इस निर्णय में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को सूचित तक नहीं किया गया। भूमि सुधार उप समाहर्ता का पद बिहार राजस्व सेवा से जुड़ा हुआ है, जिसमें केवल वे अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं, जिन्होंने राजस्व अधिकारी या अंचल अधिकारी के रूप में कम से कम नौ वर्षों तक काम किया हो।
इस पद पर अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति से न केवल कार्य निष्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं भी तेज हो जाती हैं। इस मामले की अगली सुनवाई पांच मार्च को होगी।
मुख्य पार्षद लाडली सिन्हा की अयोग्यता पर अगले आदेश तक रोक
दूसरी ओर, पटना हाई कोर्ट ने नगर पंचायत अस्थावां, नालंदा की मुख्य पार्षद लाडली सिन्हा की अयोग्यता के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश राजेश कुमार वर्मा ने लाडली की रीट याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत दी।
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि लाडली सिन्हा 20 दिसंबर 2022 को नगर पंचायत अस्थावां की मुख्य पार्षद चुनी गई थीं। नामांकन की जांच के दौरान उम्मीदवार उमा शंकर प्रसाद ने आपत्ति जताई थी कि उनकी दो से अधिक संतान हैं, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने इस आपत्ति को खारिज कर दिया था।
शिव बालक ने लाडली सिन्हा को अयोग्य घोषित करने की मांग रखी
बाद में 30 जनवरी 2023 को शिव बालक यादव ने राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए लाडली सिन्हा को अयोग्य घोषित करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निकाय चुनावों में दो से अधिक संतान होने पर उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए उनकी उम्मीदवारी अमान्य थी।
लाडली सिन्हा ने इस शिकायत का विरोध करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया। उन्होंने रजनी कुमारी बनाम बिहार सरकार मामले में फुल बेंच के निर्णय और बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 478 (बी) का हवाला देते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग इस मामले में निर्णय लेने के लिए अधिकृत नहीं है।
वरीय अधिवक्ता ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने इस शिकायत पर मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मंगाई और अन्य साक्ष्य भी जुटाए, जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसके बाद 5 फरवरी 2025 को आयोग ने लाडली सिन्हा को अयोग्य घोषित कर दिया। इस आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगा दी।
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