FIR और चार्जशीट में अभियुक्त की जाति लिखे जाने पर पटना हाई कोर्ट ने राज्य से मांगा जवाब
पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में प्राथमिकी, केस डायरी और आरोप पत्र में अभियुक्त की जाति लिखने की प्रथा पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने इस प्रथा को अनुचित बताते हुए कहा कि यह सामाजिक पूर्वाग्रह को बढ़ावा देती है। न्यायालय ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की।

विधि संवाददाता, पटना। राज्य में दर्ज होने वाली प्राथमिकी, केस डायरी और आरोप पत्र में अभियुक्त की जाति लिखे जाने की परंपरा पर पटना हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस बाबत जवाब मांगा है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सुधीर सिंह और न्यायाधीश राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अधिवक्ता सरोज कुमार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की।
अर्जी में कहा गया है कि राज्य के अधिकांश थानों में आज भी प्राथमिकी, केस डायरी और चार्जशीट में अभियुक्त की जाति का उल्लेख किया जाता है, जो कानून और समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता पी.के. शाही ने अदालत को बताया कि अभियुक्त की जाति लिखना उचित नहीं है। इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस अधिकारियों से विचार-विमर्श किया जा रहा है।
कोर्ट ने इस प्रथा को अनुचित और अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि यह सामाजिक पूर्वाग्रह को बढ़ावा देती है। अदालत ने राज्य सरकार से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की।

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