Patna High Court: पटना हाई कोर्ट ने कैंसिल किया बीपीएससी का ऑर्डर, परीक्षार्थी को मिली बड़ी राहत
पटना हाई कोर्ट ने बीपीएससी द्वारा एक अभ्यर्थी को तीन साल के लिए परीक्षा से रोकने के आदेश को रद कर दिया है। न्यायाधीश संदीप कुमार ने कहा कि बीपीएससी का आदेश गैर-कानूनी है क्योंकि इसमें पर्याप्त कारण नहीं बताए गए थे। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उनके क्लाइंट को बिना सुने प्रतिबंधित कर दिया गया जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा तीन वर्षों के लिए परीक्षा में शामिल होने से रोके गए परीक्षार्थी तारकेश्वर पांडेय को बड़ी राहत दी है। न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने आयोग द्वारा जारी डिबारमेंट आदेश (दिनांक 19 फरवरी 2025) को रद करते हुए कहा कि यह आदेश गैर-कारणयुक्त है और विधिसम्मत नहीं है।
मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रसून कुमार कुंवर ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा में भाग लिया था। परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र वितरण में आधे घंटे की देरी हुई थी।
बाद में एक मीडिया चैनल पर उनकी आंशिक और संपादित बाइट वायरल कर दी गई, जिसके आधार पर बीपीएससी ने बिना पर्याप्त कारण बताए उन्हें तीन वर्षों (12 दिसंबर 2024 से 12 दिसंबर 2027 तक) के लिए आयोग की सभी परीक्षाओं से वंचित कर दिया।
अधिवक्ता कुंवर ने दलील दी कि याचिकाकर्ता का पूरा पक्ष सुने बिना, केवल संपादित क्लिप पर आधारित होकर आदेश पारित किया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने भी पाया कि बीपीएससी ने याचिकाकर्ता की विस्तृत शो-कॉज रिप्लाई पर विचार नहीं किया और आदेश कारणरहित है।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी प्रशासनिक अथवा अर्ध-न्यायिक आदेश में ठोस कारण दर्ज होना आवश्यक है। अंततः कोर्ट ने बीपीएससी का आदेश याचिकाकर्ता के संबंध में निरस्त कर दिया।
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