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    Patna High Court: दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज की दो छात्राओं का निष्कासन रद, परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 05:11 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज की दो छात्राओं के निष्कासन को रद कर दिया है। अदालत ने कहा कि कॉलेज प्रशासन ने नियमों का पालन नहीं किया। छात्राओं का नाम आंदोलनकारियों की सूची में नहीं था और शिक्षकों ने उनके प्रदर्शन को संतोषजनक बताया था। अदालत ने कॉलेज को छात्राओं के परिणाम प्रकाशित करने और उन्हें पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देने का आदेश दिया।

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    दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज की दो छात्राओं का निष्कासन रद, परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की दो छात्राओं आयुषी आनंद और निधि कुमारी के पक्ष में अहम फैसला सुनाते हुए उनका निष्कासन आदेश रद कर दिया है। न्यायाधीश हरीश कुमार की एकलपीठ ने कहा कि कॉलेज प्रशासन और अनुशासन समिति ने नियमों का पालन किए बिना मनमाना निर्णय लिया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

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    याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता बिनोदानंद मिश्रा ने दलील दी कि छात्राओं का आंदोलन से कोई संबंध नहीं था और उनके नाम न तो कम उपस्थिति वाले छात्रों की सूची में थे और न ही “कट्टर आंदोलनकारी” छात्रों की सूची में। फैकल्टी सदस्यों ने भी उनके आचरण और शैक्षणिक प्रदर्शन को संतोषजनक बताया था।

    अक्टूबर 2023 में कॉलेज में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर छात्रों ने आंदोलन किया था, जिसके बाद दोनों छात्राओं को एक वर्ष के लिए कॉलेज व हॉस्टल से निष्कासित कर दिया गया।

    कोर्ट ने कहा कि न तो उन्हें उचित चार्जशीट दी गई और न ही अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर। इस आधार पर आदेश को अवैध ठहराते हुए कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिया गया कि छात्राओं के लंबित परिणाम तत्काल प्रकाशित किए जाएं और उन्हें बिना देरी पढ़ाई का अवसर दिया जाए।

    पटना हाई कोर्ट अधिवक्ताओं पर हमले के विरोध में बड़ा फैसला, कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार

    दूसरी ओर, पटना हाई कोर्ट के दो युवा अधिवक्ता अंसुल आर्यन और उनकी पत्नी मनोग्या सिंह पर दिल्ली पब्लिक स्कूल के स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों द्वारा किए गए हमले को लेकर पटना हाईकोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति ने सख्त रुख अपनाया है।

    समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 18 सितंबर से कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अदालत का अनिश्चितकालीन बहिष्कार किया जाएगा। अधिवक्ताओं का आरोप है कि अदालत ने वास्तविक मुद्दे पर संवेदनशीलता नहीं दिखाई और मामले को अनावश्यक रूप से टाल दिया। समिति ने इस प्रस्ताव की प्रति रजिस्ट्रार जनरल को भेज दिया है।

    बैठक में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंह, सचिव मुकेश कांत, एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सिंह, उपाध्यक्ष संजय कुमार पांडेय, सचिव जनरल छाया मिश्रा, लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमाशंकर और महासचिव राजीव कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा कि यह हमला केवल अधिवक्ताओं पर नहीं, बल्कि पूरी न्याय व्यवस्था की गरिमा पर प्रहार है। सभी पदाधिकारी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षरकर्ता हैं।