हाईकोर्ट कैंपस के बाहर से फोटोकॉपी व बाइंडिंग दुकान हटने से काम प्रभावित, समय पर नहीं दायर हो रही याचिका
पटना हाईकोर्ट के बाहर फोटोकॉपी और बाइंडिंग की दुकानें हटने से याचिकाओं की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। अधिवक्ताओं और मुवक्किलों को फाइलिंग में दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि दस्तावेजों की प्रतियां समय पर नहीं मिल पा रही हैं। क्लर्क एसोसिएशन ने वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की है ताकि न्याय प्रक्रिया पर असर न पड़े। अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में सुविधा केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया है।

प्रत्यूष प्रताप सिंह, पटना। पटना हाईकोर्ट परिसर के बाहर स्थित फोटोकॉपी व बाइंडिंग की दुकानों को हटाए जाने के बाद कोर्ट में दाखिल होने वाले याचिकाओं की प्रक्रिया गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
खासकर अधिवक्ताओं के मुंशी व क्लर्क इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। वे कहते हैं कि अब न तो फाइलों की बाइंडिंग सुगमता से हो पा रही है और न ही दस्तावेजों की प्रतियां समय पर मिल पा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट परिसर के ठीक बाहर वर्षों से फोटोकॉपी, टाइपिंग व बाइंडिंग की दर्जनों दुकानें संचालित थीं, जो अधिवक्ताओं, क्लर्कों और आम मुवक्किलों के लिए अत्यंत सहायक थीं।
कोर्ट में दायर किए जाने वाले याचिकाओं, जवाबों व दस्तावेजों की प्रति तैयार करने का कार्य इन्हीं दुकानों के माध्यम से त्वरित और सुलभ तरीके से होता था। दुकानों को हटाए जाने के बाद अब अधिवक्ताओं और उनके सहायकों को दूर-दराज के बाजारों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे कीमती समय नष्ट हो रहा है।
इससे खर्च में भी इजाफा हुआ है और समयसीमा के भीतर फाइलिंग करना कठिन हो गया है। कई मामलों में तो देरी के कारण याचिकाएं समय पर दायर नहीं हो पा रही हैं, जिससे मुवक्किलों के हित भी प्रभावित हो रहे हैं।
पटना हाई कोर्ट के क्लर्क एसोसिएशन के एक सदस्य संजीव कुमार ने बताया कि 'हम सिर्फ मुवक्किल और वकीलों के बीच एक सेतु हैं, लेकिन इस फैसले ने हमारे काम को बेहद जटिल बना दिया है। अगर फोटोकॉपी और बाइंडिंग की वैकल्पिक व्यवस्था कोर्ट के निकट नहीं की गई तो इससे न्याय प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।'
पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता आरके शुक्ला, आरएन दूबे, प्रणव झा , जितेंद्र कुमार पांडेय , अमरेंद्र कुमार , मनीष झा और अन्य सैकड़ो अधिवक्ताओं ने कोर्ट प्रशासन से उम्मीद है कि या तो पूर्व की भांति दुकानों को पुनः स्थापित करने की अनुमति दी जाए या कोर्ट परिसर में ही एक संगठित सुविधा केंद्र की स्थापना की जाए, जिससे फाइलिंग का कार्य सुचारू रूप से जारी रह सके।
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