Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar News: अनुसूचित जाति की महिला को फ्लैट आवंटित करने का आदेश, 21 साल पहले दिया था आवेदन

    Updated: Thu, 29 Aug 2024 06:12 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने अनुसूचित जाति की एक महिला को 21 साल पहले दिए गए आवेदन के आधार पर एमआईजी फ्लैट आवंटित करने का आदेश दिया है। महिला ने 2003 में बरारी भागलपुर में स्थित फ्लैटों के लिए आवेदन किया था लेकिन उसे अब तक फ्लैट नहीं मिला था। कोर्ट ने आवास बोर्ड को एक महीने के भीतर फ्लैट आवंटित करने का निर्देश दिया है।

    Hero Image
    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने आवास बोर्ड को आदेश दिया है कि वह एक महीने के भीतर अनुसूचित जाति की एक महिला को एमआईजी फ्लैट आवंटित करे जिसके लिए उन्होंने 21 साल पहले आवेदन दिया था।

    न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने भागलपुर निवासी वीणा कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फ़ैसला सुनाया। महिला ने आवास बोर्ड द्वारा बरारी, भागलपुर में स्थित विभिन्न श्रेणियों के 50 एमआईजी फ्लैटों के आवंटन के लिए छह जून 2003 को प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में आवेदन किया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बयाना के रूप में 50 हजार रुपये जमा किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ज्ञानेन्द्र कुमार शुक्ला एवं संजीव सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को छोड़कर अन्य सभी व्यक्तियों को वर्ष 2004 में ही फ्लैट आवंटित कर दिए गए थे, लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग के लिए निर्धारित फ्लैट किसी को भी आवंटित नहीं किए गया।

    2012 में महिला ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा

    महिला ने फ्लैट का आवंटन नहीं होने पर वर्ष 2012 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ⁠हाई कोर्ट ने चार फरवरी 2013 को याचिका का निपटारा करते हुए आयुक्त-सह-अध्यक्ष, प्रभागीय आवंटन समिति, भागलापुर के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी, जिसका निपटारा आयुक्त को तीन महीने के भीतर करना था।

    समय सीमा में मामले का निपटारा नहीं होने पर महिला ने अवमानना याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों ने 19 नवंबर 2014 के आदेश को रिकॉर्ड में लाया, जिसके तहत याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन खारिज कर दिया था।

    कोर्ट ने कहा कि ⁠एक बार विज्ञापन की शर्तें प्रकाशित हो जाने और याचिकाकर्ता और अन्य लोगों द्वारा आवेदन करने के बाद उपरोक्त फ्लैटों के आवंटन के संबंध में कोई शुद्धिपत्र नहीं लाया गया, तो याचिकाकर्ता को प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन से इनकार नहीं किया जा सकता है।