पटना सेंट्रल मॉल में निर्माण पर हाईकोर्ट की रोक
पटना हाईकोर्ट ने सेंट्रल मॉल की व्यावसायिक गतिविधियों को तत्काल रोकने का निर्देश डीएम और एसपी को
पटना । पटना हाईकोर्ट ने सेंट्रल मॉल की व्यावसायिक गतिविधियों को तत्काल रोकने का निर्देश डीएम और एसपी को दिया है। न्यायाधीश वीएन सिन्हा व पीके झा की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया अवैध लगता है। पूरा मामला देखने से लगता है कि गलत काम हुआ है।’ यह मॉल जदयू विधायक अनंत सिंह का है।
खंडपीठ का कहना था कि आखिर रोक के बावजूद इसका उद्घाटन कैसे हो गया? कोर्ट ने डीएम-एसपी की तरफ से इस बारे में कुछ दिन पहले दिए गए इस तर्क को खारिज किया कि ‘हमलोग मौके पर गए थे। मगर वहां (मॉल) उद्घाटन जैसा कुछ नहीं दिखा।’ कोर्ट के अनुसार ये बेकार बात है। भरमाने की कोशिश है। कोर्ट, नरेंद्र मिश्र की अवैध अपार्टमेंट के मुतल्लिक दायर लोकहित याचिका की सुनवाई कर रहा था। इसी दौरान एक अधिवक्ता ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर कोर्ट को सेंट्रल मॉल प्रकरण के बारे में अवगत कराया। कोर्ट को बताया गया कि प्लॉट नम्बर 65 में बना पांचवां व छठा तल्ला पटना नगर निगम द्वारा अवैध करार दिया गया है। इसी तरह प्लॉट नम्बर 66 का बेसमेंट से लेकर ऊपर के तल्ले अवैध माने गए हैं। नगर निगम ने इसे तोड़ने की बात कही थी। इसी दौरान मॉल के मालिक बिल्ंिडग टिब्यूनल में चले गए। टिब्यूनल का फैसला तात्कालिक तौर पर उनके पक्ष में रहा।
टिब्यूनल ने नगर निगम को इस मॉल को तोड़ने पर तत्काल पाबंदी लगा दी। यह आदेश दो अगस्त 2014 को हुआ। इसके बाद मॉल की दुकानें व आफिस दुकानदारों तथा अन्य एजेंसियों को आवंटित कर दी गईं। 23 सितम्बर 2014 को यह जानकारी भी खुलेआम हुई कि इसका उद्घाटन हो गया। यह सब सुनने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की। उसका कहना था कि पटना नगर निगम तो उसी (कोर्ट) के आदेश पर कार्रवाई कर रहा था। फिर यह सब कैसे हो गया? कौन जिम्मेदार है? लिहाज फौरन यहां चल रहीं व्यावसायिक गतिविधियां बंद की जाएं। खंडपीठ ने पटना नगर निगम के विजिलेंस से अवैध निर्माण के मुकदमों के मामले में अद्यतन रिपोर्ट भी मांगी है। उससे पूछा है कि उसने कितने मुकदमे दायर किए, कितने निपटे और कितने किस-किस स्थिति में हैं?
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।