क्या जब्त वाहनों की नीलामी में चल रहा बड़ा खेल? पटना हाईकोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल, अब EOU की एंट्री
पटना हाईकोर्ट ने जब्त वाहनों की नीलामी में अनियमितताओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को मामले की जांच करने का आदेश दिया है। ...और पढ़ें

जब्त वाहनों की नीलामी में बड़े रैकेट की मिलीभगत की आशंका। सांकेतिक तस्वीर
विधि संवाददाता, पटना। Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने जब्त वाहनों (Seized Vehicles) की नीलामी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और रैकेट के संचालन की गंभीर आशंका व्यक्त करते हुए आर्थिक अपराध इकाई को एफआईआर दर्ज कर मामले की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद और न्यायाधीश सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने राधेश्याम सिंह द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उनकी चोरी हुई स्कॉर्पियो (JH01CJ-7840) को गलत रजिस्ट्रेशन नंबर (BR 06 PD 9070) दिखाकर नीलाम कर दिया गया।
कोर्ट के समक्ष यह तथ्य भी रखा गया कि नोटिस गलत व्यक्ति को जारी किया गया, जबकि वास्तविक मालिक को कोई सूचना नहीं दी गई। याचिका में विस्तृत रूप से आरोप है कि बिहार के कई जिलों में जब्त वाहनों की नीलामी में एक संगठित रैकेट सक्रिय है, जिसमें निश्चित खरीदारों को लाभ पहुंचाने के लिए बोली प्रक्रिया को प्रभावित किया जाता है।
अधिकारियों से गहरे गठजोड़ की संभावना
सुनवाई के दौरान अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद टिप्पणी की कि दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिलते हैं।
अदालत के अनुसार, जिस व्यक्ति के नाम पर कई वाहनों की नीलामी हुई, उसकी अधिकारियों के साथ गहरे गठजोड़ में होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
मामले में यह भी सामने आया कि संबंधित वाहन बाद में एक महिला कांस्टेबल के नाम पर नए नंबर से ट्रांसफर कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि यदि अधिकारियों की गलती से राज्य को वित्तीय भार वहन करना पड़े, तो उसकी वसूली दोषी अधिकारियों से ही की जानी चाहिए।
अदालत ने आर्थिक अपराध इकाई को प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू करने, तथा अगली सुनवाई से पहले अद्यतन स्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया है। मामला 17 नवंबर 2025 को पुनः सूचीबद्ध होगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।