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    राष्ट्रगान अपमान मामले में CM नीतीश कुमार को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत, विकास पासवान को नोटिस जारी

    पटना हाई कोर्ट से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ी राहत मिली है। राष्ट्रगान के कथित अपमान के मामले में बेगूसराय कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। न्यायाधीश चंद्रशेखर झा ने नीतीश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए परिवादी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस मामले को दुर्भावना से प्रेरित माना है।

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 17 Apr 2025 06:34 PM (IST)
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    राष्ट्रगान अपमान मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत

    विधि संवाददाता, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को (Nitish Kumar) तथाकथित राष्ट्रगान के अपमान मामले में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) से बड़ी राहत मिली है।

    न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की एकलपीठ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से दायर क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई करते हुए बेगूसराय की अदालत में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। साथ ही परिवादी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।

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    क्या है पूरा मामला?

    उल्लेखनीय है कि बीते माह बेगूसराय में आयोजित एक विशेष खेल महोत्सव के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रगान के समय मुख्यमंत्री के हाथ हिलाने का एक वीडियो वायरल हुआ था।

    इस वीडियो को आधार बनाकर स्थानीय निवासी विकास पासवान ने 22 मार्च को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक परिवाद पत्र दायर करते हुए मुख्यमंत्री पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाया था।

    25 मार्च को सीएम को जारी हुआ नोटिस

    मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के अवकाश पर होने के कारण प्रभारी न्यायिक दंडाधिकारी ने इस परिवाद को अपने न्यायालय में स्थानांतरित कर लिया और 25 मार्च को मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर 4 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस कार्रवाई के खिलाफ मुख्यमंत्री की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

    'दुर्भावना से प्रेरित है मामला'

    महाधिवक्ता पी. के. शाही और अधिवक्ता अमीश कुमार ने मुख्यमंत्री की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि यह मामला दुर्भावना से प्रेरित है और आपराधिक कानून का दुरुपयोग है।

    उन्होंने यह भी तर्क दिया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री को बिना परिवादी की प्राथमिक जांच के ही आरोपी बना दिया गया, जो पूरी तरह गैरकानूनी है।

    इन दलीलों को सुनने के बाद एकलपीठ ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

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