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    पटना में बुलडोजर से घर तोड़े जाने पर हाईकोर्ट में वकीलों ने दी ये दलील, सरकार बोली- मामला सुनवाई लायक नहीं

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2022 11:07 AM (IST)

    पटना हाई कोर्ट में हुई आवास बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण मामले की सुनवाई कोर्ट मित्र की दलील नेपाली नगर की याचिका सुनवाई के योग्य कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया -प्रशासन की कार्रवाई अवैध तीनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला देगी अदालत

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    पटना हाई कोर्ट में हुई नेपालीनगर मामले की सुनवाई। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। Patna News: पटना हाईकोर्ट ने पटना शहरी क्षेत्र में राजीवनगर- दीघा क्षेत्र के नेपाली नगर में जिला प्रशासन द्वारा बुलडोजर चला कर अतिक्रमण हटाने के मामले पर सुनवाई की। यहां बड़ी संख्‍या में पक्‍के मकानों को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया था। इस मामले में हाईकोर्ट तीनों पक्षों को सुनकर फैसला देगा। याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी अपना पक्ष रख चुके हैं। जिला प्रशासन की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर एवं आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही भी अपना पक्ष रख चुके हैं। जस्टिस संदीप कुमार के समक्ष मंगलवार को कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट मित्र संतोष कुमार ने अपना पक्ष रखा। 

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    उन्होंने याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि उक्त याचिका सुनवाई के योग्य है। उन्होंने प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर प्रश्नचिह्न उठाते हुए इसे गलत बताया। उन्होंने कहा कि जब भूमि नियमितीकरण कानून के तहत आवास बोर्ड उक्त जमीन पर कानून के तहत कार्रवाई करने में सक्षम है, तो इसमें प्रशासन का क्यों सहारा लिया गया? उन्होंने कोर्ट को बताया कि अतिक्रमण की कार्रवाई से पहले प्रशासन द्वारा वहां के निवासियों को व्यक्तिगत नोटिस नहीं दिया गया।

    कानून के तहत नोटिस को दो अखबारों में प्रकाशित नहीं किया गया और न तो प्रत्येक व्यक्ति के जवाब को सुन कर आदेश पारित किया गया। ऐसे में प्रशासन द्वारा घरों को गैरकानूनी रूप से तोड़ा गया है। उन्होंने आवास बोर्ड की कार्रवाई को अवैध बताया। उन्होंने अदालत को बताया कि बिना आदेश पारित किए, मुआवजा निर्धारित किए और सभी पक्षों को सुने बगैर प्रशासन द्वारा अतिक्रमण की कार्रवाई कानून के विरुद्ध है। 

    कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट मित्र को निष्पक्ष होकर तर्क प्रस्तुत करना है। इस मामले में सुनवाई अधूरी रही। आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने सुनवाई में पुन: कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकों ने आवास बोर्ड के नियमों का उल्लंघन कर  मकान बनाए हैं। अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।