बिहार टीचर भर्ती: ईडब्ल्यूएस वर्ग को 10% आरक्षण न देने पर नीतीश सरकार और बीपीएससी से जवाब-तलब
पटना हाई कोर्ट ने बिहार में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार और बीपीएससी से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि विज्ञापन संख्या 22/2024 में ईडब्ल्यूएस वर्ग को 10% आरक्षण का सही ढंग से पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में स्पष्टीकरण देने को कहा है अगली सुनवाई 23 जून को होगी।

विधि संवाददाता, पटना। बिहार में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर आरक्षण विवाद एक बार फिर न्यायिक जांच के घेरे में है। ईडब्ल्यूएस वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण न देने के मामले पर पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और बीपीएससी से जवाब तलब किया है।
न्यायाधीश सत्यव्रत वर्मा की एकल पीठ ने अभय राज और 88 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग से जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए प्रकाशित विज्ञापन संख्या 22/2024 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का समुचित पालन नहीं किया गया है, जो कि 2019 के अधिनियम के तहत एक सीधी भर्ती में ऊर्ध्व आरक्षण है।
'10% के नियम का उल्लंघन किया'
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने दलील दी कि शुरू में 21771 पदों में ईडब्लूएस वर्ग को लगभग 2000 पद आवंटित किए गए थे, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा रीट याचिका स. 16760/2023 में 65 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद कुल पद घटकर 19842 हो गए, किंतु ईडब्लूएस के लिए केवल 917 पद आरक्षित किए गए, जो कि 10% के नियम का स्पष्ट उल्लंघन है।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि महिला उम्मीदवारों को विभिन्न वर्गों में ऊर्ध्व आरक्षण के रूप में स्थान प्रदान किया गया, जबकि संविधान में महिलाओं के लिए आवर्ती (क्षैतिज) आरक्षण का प्रविधान है।
उदाहरण स्वरूप, सामान्य श्रेणी में 7440 में से 3716 पद महिलाओं को, जबकि ओबीसी में 2357 में से केवल 501 पद ही महिलाओं को दिए गए, जो कि 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के प्रावधान से मेल नहीं खाते।
कोर्ट ने राज्य सरकार और बीपीएससी को निर्देश दिया है कि चार सप्ताह के भीतर शपथ-पत्र दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि ईडब्लूएस वर्ग के लिए आरक्षण में कटौती किस आधार पर की गई और महिलाओं को विभिन्न वर्गों में दिए गए आरक्षण की ऊर्ध्व-क्षैतिज संरचना का औचित्य क्या है। सुनवाई की अगली तारीख 23 जून तय की गई है।
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