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    एमबीबीएस परीक्षा फर्जीवाड़ा मामला: हाई कोर्ट ने बेतिया मेडिकल कॉलेज के छात्रों को अंतरिम राहत देने से किया इनकार

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Mon, 02 Jun 2025 04:11 PM (IST)

    पटना उच्च न्यायालय ने बेतिया मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस परीक्षा में धोखाधड़ी के मामले में छात्रों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने स्व ...और पढ़ें

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    हाई कोर्ट ने बेतिया मेडिकल कॉलेज के छात्रों को अंतरिम राहत देने से किया इनकार

    विधि संवाददाता, पटना। बेतिया स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की परीक्षा में गंभीर फर्जीवाड़ा मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट ने छात्रों को अंतरिम राहत देने से साफ इनकार कर दिया है। यह मामला उन छात्रों से जुड़ा है, जिन पर परीक्षा में अपने स्थान पर अन्य व्यक्तियों को बैठाने का आरोप है।

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    न्यायाधीश पार्थ सारथी की एकलपीठ ने अरविंद कुमार व चार अन्य छात्रों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई में अपना विस्तृत जवाब दाखिल करें। ज्ञात हो कि नवंबर 2024 में बेतिया मेडिकल कॉलेज के पांच छात्रों का नामांकन रद्द कर दिया गया था।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामचंद्र सिंह ने अदालत को अवगत कराया कि अगली एमबीबीएस परीक्षा 4 जून, 2025 से शुरू हो रही है, ऐसे में छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए। इसके समर्थन में एक आदेश की प्रति भी कोर्ट में प्रस्तुत की गई, जिसमें कुछ अन्य छात्रों को परीक्षा में बैठने की छूट दी गई थी।

    राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मेडिकल परीक्षा में इस प्रकार की नकल समाज के लिए अत्यंत घातक है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर समाज के जीवन रक्षक होते हैं और यदि वे अनुचित माध्यमों से उत्तीर्ण होंगे, तो आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

    सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी अवगत कराया कि याचिकाकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया है कि ईएनटी पेपर में उसके स्थान पर एक अन्य परीक्षार्थी ने परीक्षा दी थी। ऐसे में उसे किसी भी प्रकार की राहत देना न्यायोचित नहीं होगा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पूर्व में जिन छात्रों को अंतरिम राहत दी गई थी, वह केवल विश्वविद्यालय द्वारा समय पर जवाब दाखिल न करने की स्थिति में दी गई थी।

    अदालत ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि वे विश्वविद्यालय को कोर्ट के आदेश से अवगत कराएं ताकि आगामी सुनवाई से पूर्व जवाब दाखिल किया जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई 20 जून को निर्धारित की गई है।