Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हाई कोर्ट निर्णय लेने की प्रक्रिया की जांच करता है; फैसले की नहीं', पटना HC की सेवानिवृत्त प्राध्यापक की रिट पर टिप्पणी

    Updated: Mon, 19 Aug 2024 09:32 PM (IST)

    Patna High Court बिहार में पटना हाई कोर्ट ने एक रिटायर प्राध्यापक की रिट याचिका पर अहम टिप्पणी की है। यह मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है। दरअसल अरवल के आवासीय विद्यालय की मेस के संचालन में गड़बड़ी का आरोप की जांच को लेकर विजिलेंस ने मामला दर्ज किया था। इसी क्रम में विभागीय जांच के दौरान याचिकाकर्ता को दोषी ठहराकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी।

    Hero Image
    Bihar News : पटना हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी।

    विधि संवाददाता, पटना। Patna High Court: डॉ. सुनील कुमार सिन्हा को भ्रष्टाचार के आरोप में विभागीय कार्यवाही के तहत अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। इसके विरुद्ध उन्होंने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।

    याचिका को निरस्त करते हुए न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकल पीठ की टिप्पणी है कि 'हाई कोर्ट केवल निर्णय लेने की प्रक्रिया की जांच करता है, निर्णय की नहीं।'

    कोर्ट ने यह भी कहा कि 'किस कर्मचारी को किस प्रकार की सजा दी जा सकती है, यह पूरी तरह से नियुक्ति प्राधिकारी का विशेषाधिकार है।'

    पटना न्यायपीठ ने कहा कि आम तौर पर अनुच्छेद-226 के तहत न्यायालय ऐसे मामलों में राय नहीं देता है।

    क्या है पूरा मामला

    Bihar News: दरअसल, अरवल स्थित आंबेडकर आवासीय बालिका उच्च विद्यालय के मेस के संचालन में गड़बड़ी के आरोप में सुनील के विरुद्ध विजिलेंस का मामला दर्ज हुआ था।

    याचिकाकर्ता सुनील इस आवासीय विद्यालय में प्राध्यापक के तौर पर तैनात थे। सुनील की याचिका पर बीती 17 जुलाई को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। 

    इस दौरान कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद अब आज (19 अगस्त को) हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी है। 

    मामले में सुनील को विभागीय कार्यवाही के तहत दोषी पाते हुए अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। उनकी अधिवक्ता महाश्वेता चटर्जी ने कहा कि सुनील के पक्ष में कई गवाहों ने साक्ष्य दिए हैं।

    चटर्जी ने दलील दी कि सुनील को गलत तरीके से फंसाया गया है। सजा इतनी कठोर है कि इसे रद किया जाना चाहिए।

    याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने कहा कि 31 मार्च, 2016 को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के बारे में जानकारी विजिलेंस के पुलिस अधीक्षक द्वारा विभाग को मिली थी।

    सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए प्रशांत ने यह तर्क भी दिया कि यह साक्ष्य नहीं होने का मामला नहीं है। याचिकाकर्ता निर्णय लेने की प्रक्रिया में किसी भी प्रक्रियागत अनियमितता को स्थापित करने में विफल रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें

    Anant Singh: मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह को बड़ी राहत, पटना हाईकोर्ट ने 2 मामलों में किया बरी

    Agniveer Recruitment Case: पटना हाईकोर्ट पहुंचा बिना टेंडर अग्निवीर भर्ती का काम कराने का मामला