बालिग की मर्जी सर्वोपरि: हाई कोर्ट ने युवती को पति संग जाने की दी अनुमति
पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि बालिग महिला को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार है। कोर्ट ने रूचि कुमारी नाम की एक युवती को ...और पढ़ें

हाई कोर्ट ने युवती को पति संग जाने की दी अनुमति
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में रेखांकित किया है कि बालिग महिला अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने और उसके साथ रहने के लिए स्वतंत्र है।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद और न्यायाधीश सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने बुधवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए रूचि कुमारी को स्वतंत्र रूप से विवाहिता जीवन जीने की अनुमति दे दी।
याचिकाकर्ता अभिजीत कुमार ने अदालत को बताया था कि उन्होंने 4 मार्च 2025 को विशेष विवाह अधिनियम के तहत रूचि कुमारी से विधिवत विवाह किया है, लेकिन युवती को उसके माता–पिता और भाइयों ने जबरन रोके रखा है।
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने युवती को प्रस्तुत किया, जिसके बाद न्यायाधीशों ने चैंबर में उसकी बात सुनी। रूचि ने कोर्ट के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा कि वह पति के साथ रहना चाहती है और परिवार वालों द्वारा उसे रोका व धमकाया गया।
अदालत ने कहा कि दोनों पक्ष बालिग हैं और विवाह विधिसम्मत है, इसलिए युवती को अपनी पसंद के अनुसार जीवन व्यतीत करने से रोका नहीं जा सकता।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय शफीन जहां बनाम अशोकन (2018) का हवाला देते हुए कहा कि वयस्कों की वैवाहिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। कोर्ट ने युवती को मुक्त घोषित करते हुए उसे पति के साथ जाने की अनुमति दी।
साथ ही पुलिस को निर्देश दिया कि वह स्थिति पर निगरानी रखे और आवश्यक होने पर सुरक्षा उपलब्ध कराए। कोर्ट ने परिवार वालों को चेतावनी दी कि वे किसी भी प्रकार की धमकी या अवरोध न उत्पन्न करें।

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