दुष्कर्म के आरोप में 14 साल बाद किशोर को हाई कोर्ट ने किया बरी, पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश
पटना HC ने 2011 के किशोर बलात्कार मामले में आरोपी को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध को साबित करने में विफल रहा। पीड़िता के विरोधाभासी बयान और मेडिकल रिपोर्ट में ठोस सबूतों की कमी के कारण अदालत ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश दिया और किशोर न्याय बोर्डों को मुआवजा संबंधी स्पष्ट आदेश पारित करने के लिए निर्देशित किया।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में वर्ष 2011 के किशोर दुष्कर्म मामले में दोषसिद्धि और सजा को रद करते हुए आरोपी किशोर को बरी कर दिया। न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के विरुद्ध अपराध को संदेह से परे सिद्ध करने में असफल रहा है।
मामला समस्तीपुर के खानपुर थाना क्षेत्र का है, जहां पीड़िता ने आरोप लगाया था कि जब वह घर में अकेली थी, तब दो युवकों ने उसे अगवा कर मक्का के खेत में दुष्कर्म किया। घटना के समय आरोपी की उम्र 18 वर्ष से कम थी, अतः मामला किशोर न्याय अधिनियम के तहत चला।
कोर्ट ने पाया कि पीड़िता का बयान विरोधाभासी है, मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म के ठोस प्रमाण नहीं हैं, और जांच में वैज्ञानिक साक्ष्य जैसे डीएनए या रक्तरंजित वस्तुएं जब्त नहीं की गईं।
कोर्ट ने माना कि किशोर के पुनर्वास और शिक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे विशेष गृह में भेजना अनुचित था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य प्रतिशोध नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास है।
हालांकि, आरोपी को दोषमुक्त किया गया, लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता ने मानसिक और शारीरिक आघात झेला है, इसलिए पीड़िता को सीआरपीसी की धारा 357ए के तहत मुआवजा देने का निर्देश दिया।
बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को एक माह के भीतर पीड़िता को उचित मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने सभी किशोर न्याय बोर्डों व बाल न्यायालयों को निर्देशित किया है कि वे निर्णय के समय पीड़ित को मुआवजा देने के विषय में स्पष्ट आदेश पारित करें। कोर्ट ने अमीकस क्यूरी अधिवक्ता शशि प्रिया को ₹7500 मानदेय देने का भी निर्देश दिया।
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